भगवान बुद्ध की शिक्षाओं में पञ्चसील का विशेष महत्व है. ये पांच नियम (सील) सभी उपासक-उपासिकाओं को दैनिक जीवन शांति, सदाचार, इमानदारी से जीने के लिए प्रेरित करते हैं.
पञ्चसील को सभी महत्वपूर्ण संस्कारों, पर्वों, महापुरुषों के जन्मोत्सव, सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि से पहले ग्रहण किया जाता है.
पञ्चसील
- पाणातिपाता वेरमणि सिक्खापदं समादियामि.
- अदिन्नादाना वेरमणि सिक्खापदं समादियामि.
- कामेसु मिच्छाचारा वेरमणि सिक्खापदं समादियामि.
- मुसावादा वेरमणि सिक्खापदं समादियामि.
- सुरामेरयमज्ज पमादट्ठाणा वेरमणि सिक्खापदं समादियामि.
साधु! साधु! साधु!
पञ्चसील हिंदी में
- मैं प्राणी हिंसा से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ/करती हूँ.
- मैं बिना दिए को लेने (चोरी) से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ/करती हूँ.
- मैं काम-मिथ्याचार से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ/करती हूँ.
- मैं झूठ से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ/करती हूँ.
- मैं सभी प्रकार की मदिरा एवं अन्य मादक वस्तुओं के सेवन से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ/करती हूँ.
साधु! साधु! साधु!
— भवत सब्ब मङ्गलं —