HomeBuddha Dhammaतिरतन वंदना 1 - बुद्ध वंदना पालि में हिंदी अर्थ सहित

तिरतन वंदना 1 – बुद्ध वंदना पालि में हिंदी अर्थ सहित

इतिपि सो भगवा अरहं, सम्मासम्बुद्धो,
विज्जाचरणसम्पन्नों, सुगतो, लोकविदू, अनुत्तरो,
पुरिसदम्मसरथि, सत्था देव-मनुस्सानं, बुद्धो भगवा’ति
बुद्धं याव जीवितं सरणं गच्छामि। 1

ये च बुद्धा अतीता च, ये च बुद्धा अनागता।
पच्चुपन्ना च ये बुद्धा, अहं वंदामि सब्बदा॥ 2

नत्थि मे सरणं अञ्ञम, बुद्धो मे सरणं वरं।
एतेन सच्चवज्जेन होतु मे जयमङ्गलं॥ 3

उत्तमङ्गेन वन्दे हं पादपंसुवरूत्तमं।
बुद्धे यो खलीतो दोसो, बुद्धो खमसु तं ममं॥ 4


बुद्ध वंदना हिंदी में अनुवाद

वे भगवान अर्हत हैं, वे सम्यक सम्बुद्ध हैं, सभी सद-विद्याओं और सदाचरणों से युक्त हैं, सदगति को प्राप्त हैं, सभी लोकों के जानकार हैं, सर्वश्रेष्ठ हैं, भटके हुए लोगों को सही मार्ग पर ले आने वाले कुशल सारथी हैं, देव और मनुष्यों के शास्ता (अध्यापक) हैं. मैं जीवन भर के लिए उन बुद्ध की शरण जाता हूँ. 1

भूतकाल में जो बुद्ध हुए हैं, भविष्य में जो बुद्ध होंगे तथा वर्तमान में जो बुद्ध हैं, मैं उन सबकी सदा वंदना करता हूँ. 2

अन्य कोई मेरी शरण नहीं है केवल बुद्ध ही उत्तम शरण हैं, इस सत्य वचन से मेरा जय और मंगल हो. 3

मैं उन भगवान बुद्ध की सर्वोत्तम चरण धूलि की सिर से वंदना करता हूँ. यदि बुद्ध के प्रति मुझ से कोई दोष हुआ हो तो बुद्ध मुझे क्षमा करें. 4

— भवतु सब्ब मङ्गलं —

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