गौतम बुद्ध को अनेक नामों से पुकारा जाता है और तिपिटक में भी उनके अनेक नामों का जिक्र मिलता है. परंतु, उनके लिए तीन नाम सबसे ज्यादा प्रचलित और लोक व्यवहार में है. जिनका जिक्र नीचे किया जा रहा है.
- तथागत
- भगवा (भगवान)
- बुद्ध
इन्ही तीन नामों में की सबसे ज्यादा चर्चा और आम लोगों में जिज्ञासा भी होती है कि गौतम बुद्ध को भगवान क्यों कहते हैं? क्या गौतम बुद्ध सच में कोई भगवान है? जब बौद्ध धम्म किसी अलौकिक शक्ति को मानता ही नही है तो फिर गौतम बुद्ध भगवान कैसे हो गए है?
इसी तरह के सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख के माध्यम से देने का प्रयास किया गया है.
#1 गौतम बुद्ध को तथागत क्यों कहते हैं?
सबसे पहले हम समझते हैं गौतम बुद्ध को तथागत क्यों कहा जाता है और आखिर इस तथागत का मतलब क्या होता है?
तथागत शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है.
तथ्य + आगत = तथागत
तथ्य — सत्य (सचाई)
आगत — अवगत (सचेत, आगाह करना )
अर्थात तथ्य के साथ सच्चाई से अवगत करने वाले ‘बुद्ध’ तथागत कहे जाते हैं.
भगवान बुद्ध मनुष्यों की क्षमता से परे होकर कभी नहीं बोलते. तथागत जो भी बोलते हैं, वो खुद के व्यवहार से प्रामाणिक करते थे. और जो खुद से अनुभव करते थे, वो ही वे बोलते थे. इसलिए भगवान बुद्ध को “तथागत” इस नाम से संबोधित किया जाता हैं.
#2 गौतम बुद्ध को भगवान क्यों कहते हैं?
सबसे ज्यादा जो सवाल बौद्ध अनुयायियों तथा अन्य धर्मों के लोगों द्वारा पूछा जाता है वो यही है कि गौतम बुद्ध को भगवान क्यों कहते हैं. तो चलिए हम समझते है कि क्या सच में गौतम बुद्ध कोई भगवान हैं?
भगवान शब्द पालि भासा के “भगवा” से आया है. इसलिए, इस शब्द के अर्थ में सबसे ज्यादा घालमेल और मिलावट हुई है. इसी मिलावट और अनर्थ के कारण लोगों में भगवान के प्रति यह संशय उत्पन्न होता है.
एक और बात “भगवान” बौद्ध धम्म्म में हिंदू धर्म के “भगवान” या अन्य धर्मों में इस्तेमाल किसी अलौकिक शक्ति के लिए इस्तेमाल नही होता है और ना ही यह इस शब्द का समान अर्थ रखता है. “भगवान” शब्द का सबसे पहले बौद्ध ग्रंथो में उपयोग किया गया है, बाद में यह शब्द वैदिक/ब्राह्मण ग्रंथो में अलग मतलब से प्रयोजित किया जाने लगा.
पालि भासा का भगवा (भगवान) शब का अर्थ नीचे दिया जा रहा है जो आपको इस शब्द से संबंधित सभी संशयों को साफ कर देगा.
भगवान का अर्थ
भग्ग + वान = भगवान
भग्ग — भंजन (नष्ट) करना
वान — तृष्णा (वासना)
भग्ग रागो, भग्ग मोहो, भग्ग दोसो अनासवो।
भग्गस्स पापका धम्मा भगवातेनपाऊच्चित।।
इसका अर्थ है- जिस मनुष्य ने राग, मोह, द्वेष एवं तृष्णा इनको नष्ट करके संपूर्ण जीवन अकुशल कर्म और चित्त का नाश किया हैं, उस कुशलकर्मी महापुरूष को ‘भगवान’ कहा जाता हैं.
इसलिए बुद्ध का अनुसरण करने वाले बुद्ध को “भगवान बुद्ध” भी कहते है, परन्तु यथार्थ में ‘बुद्ध’ से ज्यादा प्रतिष्ठित एवं गौरवपूर्ण नाम या उपाधि दुनिया में कोई और नहीं है.
#3. गौतम बुद्ध को ‘बुद्ध’ क्यों कहते है?
बुद्ध का क्या अर्थ है?
‘बुद्ध’ शब्द मन की ऐसी अवस्था या स्थिति का नाम हैं जो चित्त का ऐसा भाव हैं, जो मानसिक उन्नति के सबसे ऊँचे स्थान पर पहुँच चुका हैं. बुद्ध का अर्थ जिसे सम्यक (सही) संबोधी (ज्ञान) हासिल हुई हैं.
ऐसा सम्यक संबुद्ध कि जिन्हें पूरी तरह ज्ञान हासिल हुआ हैं. जो अपने आपकी और समस्त संसार की भलाई कर सकता हैं.
बुद्ध मतलब अनन्त आसमान के जैसे अनन्त ज्ञानी एवं महाकारूणावान.
— भवतु सब्ब मङ्गलं —