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चार प्रकार के लोग – The Four Types of Human Beings of Buddha

एक बार तथागत से उनक एक शिष्य ने पूछा, “भंते जी इस दुनिया में भिन्न-भिन्न प्रकार के इंसान रहते हैं. आप इन्हे किस प्रकार देखते हैं? और इनमे श्रेष्ठ कौन है?”

तब तथागत ने अपने शिष्य को जवाब में कहा, “मैं इस संसार में चार प्रकार के लोगों को देखता हूँ…

  1. अंधेरे से अंधेरे की ओर जाने वाले लोग
  2. अंधेरे से प्रकाश की ओर जाने वाले लोग
  3. प्रकाश से अंधेरे की ओर जाने वाले लोग
  4. प्रकाश से प्रकाश की ओर जाने वाले लोग

#1 अंधेरे से अंधेरे की ओर जाने वाले लोग

ऐसा व्यक्ति जिसके जीवन में अंधकार है. यानि अविद्या है, अज्ञानता है, मिथ्या-धारणा है जिसके कारण गरीबी है, परेशानी है, व्याकुलता है. फिर भी वह दुराचरण करता है, क्रोध जगाता है, द्वेष-दुर्भावना जगाता है. तथा अपने दुःख का जिम्मेदार दूसरों को ठहराता है और मन ही मन दूसरों को गाली देता है. दुःख को भुलाने के लिए शराब आदि का सेवन करता है. ऐसा व्यक्ति आज तो दुखी है, आगे के लिये भी दुःख के बीज बो रहा है. यानि अंधेरे से अंधेरे की तरफ बढ़ रहा है.

#2 अंधेरे से प्रकाश की ओर जाने वाले  लोग

ऐसे व्यक्ति के जीवन में अंधेरा तो है लेकिन भीतर प्रज्ञा जाग रही है. वह सोचता है कि यह जो कुछ भी मेरे साथ हो रहा है. वह किसी पूर्व दुष्कर्म के कारण हो रहा है, किसी दूसरे को क्यों दोष दूं? वे तो माध्यम बने हैं. इसलिए, वह अपना वर्तमान कर्म सुधारता है. ओरों के प्रति मैत्री, करुणा, सद्भावना जगाता है. किसी के प्रति क्रोध नही, द्वेष नही. वह वर्तमान स्थिति को कोसने के बजाए उसे सुधारने के लिए सम्यक कर्म करता है. ऐसे व्यक्ति का आगे के लिये जीवन में प्रकाश ही प्रकाश है. यानि ऐसे व्यक्ति अंधेरे से प्रकाश की ओर जा रहे हैं.

#3 प्रकाश से अंधेरे की ओर जाने वाले लोग

ऐसा व्यक्ति प्रकाश में है. यानि उसके पास धन है, प्रतिष्ठा है. पर अहंकार है. औरों से घृणा करता है. सोचता है – देखो मैं कितना बुद्धिमान हूँ, कितना धनवान हूँ. मेरे जैसा कोई नहीं है. किसी की मदद नही करता है, खुद की वर्तमान स्थिति में बदलाव लाने के लिए प्रयासरत नही है. ऐसा सोचने वाला और करने वाला व्यक्ति दुःख के बीज बो रहा है. उसके जीवन में भविष्य में अंधेरा ही अंधेरा होगा.

#4 प्रकाश से प्रकाश की ओर जाने वाले लोग

ऐसा व्यक्ति प्रकाश में है,साथ में प्रज्ञा है. वह ये सोचता की यह जो कुछ प्राप्त हुआ किसी पूर्व पुण्य कर्म से हुआ. यह सुख सदा रहने वाला नही. यह भी बदल जायेगा. ऐसा सोचकर पुण्य कर्म करता है, लोगों की सेवा करता है, शील का पालन करता है, मैत्री बढ़ाता है, ओरों के प्रति मंगल कामना करता है. ऐसे व्यक्ति के आगे आने वाले जीवन में प्रकाश ही प्रकाश होता है.

श्रेष्ठ वही व्यक्ति है, जो प्रकाश की ओर गतिमान रहता है.

सब का मंगल हो. नमो बुद्धाय.

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