बौद्ध धम्म ध्वज अंतरराष्ट्रीय पहचान है. भारतीय बौद्ध इस धम्म ध्वज को पंचशील झंडा, पंचशील पताका भी कहते हैं. इसके रंगों का अपना महत्व है जो धम्म को अपने में समाए हुए हैं. इन्ही रंगों और इसकी महता को बता रहे हैं रचानाकार बुद्ध प्रकाश बौद्ध अपनी शानदार कविता के माध्यम से.
धम्म ध्वज
पंचशील ध्वज को नमन, करता बारम्बार ।
शांति शौर्य करुणा दिखे, मानवता संसार ।।
धम्म केन्द्र रहता मनुज, धर्म केन्द्र सब ईश ।
धम्म चाह मानव सुखी, धर्म खुशी जगदीश ।।
धम्म मार्ग विदित हो भाई, मनुज लिए होता सुखदाई ।
सत्य चार आरिय संसारा, दुख दुख कारण राह निवारा ।।
पंचशील पालन हितकारी, मनुज सभी गुण हों चमकारी ।
प्रज्ञा से सब मनुज विवेकी, शील मनुज जग करता नेकी ।।
करुणा जब मन मैत्री जागे, मनुज जगत सब अपना लागे ।
जीव जन्तु प्रति प्रेम अपारा, हिन्सा वृत्ति विरोधि विचारा ।।
चाह नमन करते सभी, धम्म ध्वजा संसार ।
मन पुलकित तन बावरा, श्रृद्धा बढे अपार ।।
स्वयं विजित करना सदा, धम्म प्रथम सोपान ।
नैतिकता जग जन सभी, सब अवसर संज्ञान ।।
धम्म सभी मानव हितकारी, नहीं दिखी इसमे हुशियारी ।
मजहब सभी प्रशंसा कीन्ही, सुखमय जीवन शिक्षा दीन्ही ।।
मनुज नहीं दुख जीवन पाए, धम्म सभी मनु राह दिखाए ।
दुखी मनुज दुख दूर भगाना, धम्म राह जो मकसद पाना ।।
धम्म मनुज जीवन की सीढ़ी, चढे सुखी हो मानव पीढ़ी ।
हिंसा चोरि काम व्यभिचारा, झूठ नशा नहि हो संसारा ।।
मनुज सभी समता रहे, मैत्री भरो अपार ।
प्रज्ञा करुणा बन्धुता, सुखी जन्तु संसार ।।
नीला पीला केसरी, श्वेत लाल परिधान ।
नैतिकता आंचल रहे, बुद्ध ध्वजा संज्ञान ।।
धम्म ध्वज कविता को सुने…
— भवतु सब्ब मंगलम —
(रचनाकार: बुद्ध प्रकाश बौद्ध जिला सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश)