HomeBuddha Dhammaभारत में मौजूद 25 प्रमुख पवित्र बौद्ध स्थल एवं पर्यटन तीर्थ स्थान

भारत में मौजूद 25 प्रमुख पवित्र बौद्ध स्थल एवं पर्यटन तीर्थ स्थान

संपूर्ण विश्व में भारत की अपनी अलग पहचान है. यह सभी धर्मो को एक रूप से सम्मान देने के लिए जाना जाता है. इन्ही धर्मो में से एक प्राचीन धर्म बौद्ध धर्म है, इस धर्म की स्थापना भगवान गौतम बुद्ध ने की थी.

यह 45 वर्षो तक सत्य, दार्शनिक शिक्षा व  अध्यात्मिक शिक्षा पर जोर देते रहे ताकि समाज सदैव सत्य की राह पर चले. इस काम के लिए गौतम बुद्ध को अलग-अलग स्थानों पर जाकर अपनी शिक्षाओं को बताना पड़ा. आज यह सभी स्थल बौद्ध अनुयायियों के लिए किसी तीर्थ स्थल से कम नही है. साथ में सरकार ने कुछ पवित्र बद्ध स्थलों को सुचित करके उन्हे पर्यटन स्थलों में भी विकसित करने का काम किया है.

इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के साथ बौद्ध धर्म से जुड़े कुछ प्रमुख स्थलों के बारे में जानकारी साँझा करेंगे.

#1 लुम्बिनी

लुम्बिनी गौतम बुद्ध की जन्म भूमि है. यह बौद्ध धर्म का प्रमुख तीर्थस्थान है, जो  हिमालय पर्वत की गोद में बसा हुआ है और बहुत ही खुबसूरत है. लुम्बिनी नेपाल के कपिलवस्तु में स्थित है. यहाँ पर 2000 वर्ष पुराने स्तूप व मठ है जो इस जगह को बहुत ही खास बनाते है. प्रत्येक मठ की सुन्दर बनावट, बुद्ध के चित्र और सुंदर वास्तुकला के नमूने इसे उत्कृष्ट बनाते है.

सम्राट असोक (अशोक) के समय में निर्मित किया गया एक स्तंभ भी यहाँ मौजूद है जो लुम्बिनी में गौतम बुद्ध के जन्म लेने का गवाह है. यहाँ पर गौतम बुद्ध की माता महामाया देवी के नाम पर भी एक मंदिर है जो माया देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है, इसके साथ लुम्बिनी में रुक्मनदेई व पुष्करिणी का मंदिर भी है. यह स्थान बौद्ध धर्म के बारे में अनेक जानकारी प्रदान करता है.

#2 श्रावस्ती

श्रावस्ती बौद्ध धर्म के प्रमुख स्थलों में शामिल है. बौद्ध साहित्य में यह “साव्त्थी” के नाम से जाना जाता है जो उत्तरप्रदेश में स्थित है और इस स्थान की खासियत है कि यह हिन्दू, जैन व बौद्ध धर्म के लिए समान रूप से पवित्र भूमि है. इसी स्थान पर भगवान बुद्ध ने राजा प्रसेनजित के दरबार में अपना अलोकिक चमत्कार दिखाया था, इसके साथ इस स्थान पर जैन धर्म के संस्थापक तीर्थकर जी ने जन्म लिया था.

श्रावस्ती भगवान बुद्ध की कर्म स्थली के रूप में जानी जाती है. यहाँ के मठ तिब्बत, कोरिया व थाईलैंड के मठों के समान ही है. यह स्थान तीनों धर्मो के लिए बहुत अधिक महत्व रखता है जिस कारण बहुत अधिक संख्या में सैलानी यहाँ पर आते है. यहाँ पर जापान के सहयोग से बौद्ध स्तूप व खंडहरो का एक टीला निर्मित किया गया है जिसका उद्देश्य विश्व में शांति और मानवता को बनाये रखना है.

#3 बोधगया विहार

बोधगया बौद्ध धर्म के चार प्रमुख स्थलों में शामिल है जो बिहार की राजधानी पटना से 100 कि.मी. की दूरी पर स्थित है. यह पहले “उरुवेला” के नाम से जाना जाता था उसके बाद 18 वी शताब्दी में संबोदी, वज्रासन या महाबोधि के नाम से जाना गया.

यहाँ पर भगवान गौतम ने ज्ञान की प्राप्ति के लिए बोधि वृक्ष (पीपल का पेड़) के नीचे भूखे-प्यासे बैठकर तपस्या की थी इसलिए यह स्थान बोधगया के नाम से विख्यात हुआ और जिस वृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई उस वृक्ष को “बोधि वृक्ष” के नाम से जाना गया. यहाँ पर स्थित महाबोधि मंदिर को यूनेस्को के द्वारा वर्ष 2002 में विश्व धरोहर का दर्ज़ा प्राप्त हुआ. यहाँ पर अनेक सैलानी ध्यान करने और पर्यटन स्थलों के दर्शन करने आते है.

#4 सारनाथ

सारनाथ वाराणसी से 13 किमी की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थस्थलों में शामिल है. माना जाता है कि जब गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हो गयी थी उसके बाद वह सारनाथ आये और यहाँ पर उन्होंने अपना पहला उपदेश दिया. सम्राट असोक ने यहाँ कई स्मारकों का निर्माण किया था. यहाँ पर अशोक स्तंभ स्थापित है. इस स्तंभ की खासियत इसके शीर्ष भाग पर चार सिंह की मूर्ति का अंकित होना है जो बुद्ध के शांति और सद्भावना के सन्देश का प्रतिक रूप है.

वाराणसी से सारनाथ की ओर जाने पर एक ऊँचा भग्न-स्तूप नजर आता है, जिसे चौखंडी स्तूप के नाम से जाना जाता है. यहाँ पर प्रथम बार पंचवर्गीय भिक्खुओं से मिले, जिन्हें गौतम बुद्ध के द्वारा धम्म की शिक्षा प्रदान की गयी थी. इसके अलावा यहाँ पर स्थापित धम्मेख स्तूप बहुत महत्वपूर्ण है क्योकि इस जगह भगवन बुद्ध ने पहला धर्मोपदेश पंचवर्गीय भिक्खुओं को प्रदान किया था.

इस जगह की प्रमुखता के बारे में बात करे तो वर्ष 1905 में पुरातत्व विभाग के द्वारा खुदाई की गयी जिसमें 2 महास्तूप, 7 विहार, 2 मंदिर और एक अशोक स्तंभ प्राप्त हुए, जिनका अपना ही महत्त्व है. यह बौद्ध धर्म के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है.

#5 कुशीनगर

उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले में कसिया नामक जगह है जिसे पुराने समय में कुशीनगर के रूप में जाना जाता था. यह गोरखपुर से 51 कि.मी. की दुरी पर स्थित है और यह बौद्ध धर्म से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों के लिए बहुत प्रसिद्ध है. यहाँ पर हिरन्यवती नदी है जिसके निकट भगवन बुद्ध ने अपनी आखिरी साँसे ली थी.

यहाँ के महापरिनिर्वाण मंदिर में भगवान बुद्ध की 6 मीटर की ऊँची प्रतिमा स्थापित है इसके अतिरिक्त यहाँ पर 49 फीट ऊँचा रामभार स्तूप भी है जिसकी वास्तुकला देखने योग्य है. कुशीनगर में वाटथाई विहार जैसा अद्भुत विहार भी है इस विहार की अलग ही पहचान है ऐसा माना जाता है कि जब थाईलैंड के शासक भूमिबोल की जीत हुई थी तब इस विहार का निर्माण किया गया था. कुशीनगर में और भी प्रमुख आकर्षण के केंद्र जैसे चीनी विहार, जापानी विहार आदि स्थित है.

#6 कपिलवस्तु

कपिलवस्तु बौद्ध धर्म का चौथा प्रमुख स्थल है, यहाँ पर गौतम बुद्ध के पिता शुद्धोधन राज्य किया करते थे. कपिलवस्तु में ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ और वह राजकुमार की तरह 28 वर्षो तक यहाँ रहे. इसके पश्चात 29 वर्ष में उन्होंने अपनी जन्मभूमि कपिलवस्तु का त्याग कर दिया और ज्ञान की प्राप्त के लिए निकल गए.

जब पुरातत्व विभाग के द्वारा इस जगह की खुदाई की गयी तो यहाँ से गौतम बुद्ध की अस्थियों का आठवां भाग प्राप्त हुआ, इसके अतिरिक्त गंवरिया की खुदाई में राजप्रसाद के अवशेष मिले. इन दोनों अवशेषों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करके सुरक्षित रख दिया गया.

#7 राजगीर

राजगीर में बौद्ध और जैन धर्म को समर्पित अनेक धार्मिक स्थल है, यहाँ पर भगवान बौद्ध ने अपने जीवन का कुछ समय आध्यात्मिक और धार्मिक उपदेश देते हुए व्यतित किया था. यह स्थान सात चट्टानी पहाडियों- छठगिरी, रत्नगिरी, सैलगिरी, सोनगिरी, उदयगिरी, वैभरगिरी और विपुलगिरी से घिरा हुआ है. इसके अतिरिक्त यहाँ पर अनेक रहस्यमयी गुफाएँ और सुन्दर झरने भी है जो पर्यटकों को शांति का अनुभव करवाते है.

यहाँ मुख्य आकर्षण के केंद्र आम्रवन, सोन भंडार, मगध, गर्म जल कुंड, मनिआर मठ, राजा जरासंध का अखाडा आदि है.

 #8 दीक्षाभूमि

महाराष्ट्र के नागपुर में दीक्षाभूमि स्थित है जो बौद्ध धर्म के पवित्र तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है. 12वी शताब्दी तक बौद्ध धर्म भारत में रहा लेकिन जब मुस्लिम शासको ने भारत में राज करना शुरू किया तो बौद्ध धर्म का प्रभाव कम होने लगा और धीरे-धीरे यह भारत से गायब हो गया. इसके बाद आधुनिक युग में बाबासाहेब ने नागपुर में बौद्ध धम्म की दीक्खा लेकर इस धर्म को पुन: जीवित किया. जिस स्थान भारत निर्माता डॉ भीमराव अम्बेड़कर जी बौद्ध धम्म की दीक्षा ग्रहण की थी उस स्थान को दीक्षाभूमि कहते हैं.

#9 वैशाली

वर्तमान में वैशाली को बसाढ़ के नाम से जाना जाता है जो बिहार के मुजफ्फरपुर में बसा है. इस स्थान पर भगवन बुद्ध तीन बार रहे और उन्होंने यही पर घोषणा की थी कि वह महापारीनिर्वाण में जायेंगे. यह बौद्ध धर्म का एक प्रधान केंद्र है.

#10 अमरावती

अमरावती आंध्रप्रदेश राज्य का सबसे प्रमुख बौद्ध स्थान है. यह गुंटूर से 26 किमी की दुरी पर स्थित है. अमरावती के स्तूप का निर्माण दूसरी शताब्दी में किया गया था. इस स्तूप पर भगवान बुद्ध के जीवन से सम्बंधित अनेक चित्र अंकित किये गए है.

#11 संकाश्य

वर्तमान समय में संकाश्य को संकिसा-बसतपुर के नाम से जाना जाता है जो उत्तरप्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में है.

#12 रिवालसर

हिमाचल की खुबसूरत वादियों के बीच में रिवालसर स्थित है जो मंडी से 20 कि.मी. की दूरी पर है. ऐसा माना जाता है कि गुरु पद्मसंभव ने यहाँ से बौद्ध धर्म का प्रचार शुरू किया था और तिब्बत तक गए. यहाँ पर पेगोड़ा शैली का एक सुन्दर मठ स्थापित है.

#13 पेशावर

पेशावर पश्चिमी पाकिस्तान में बसा हुआ है इस स्थान पर सम्राट कनिष्क के द्वारा एक स्तूप का निर्माण किया गया था जो बहुत बड़ा और ऊँचा है इस स्तूप के नीचे से खुदाई के दौरान भगवन बुद्ध की अस्थियों का एक भाग प्राप्त हुआ था.

#14 बामियान

अफगानिस्तान में बामियान शहर बसा हुआ है यहाँ पर बौद्ध धर्म से जुडी अनेक प्रतिमाएं देखने को मिलती है. यह प्रतिमाएं इस बात को प्रमाणित करती है कि बौद्ध धर्म की जड़े भारत के अतिरिक्त अन्य देशो में भी फैली हुई है. यहाँ पर जब चंगेज खां ने अपना आधिपत्य स्थापित किया था तो उसने इन प्रतिमाओ को नुकसान पहुँचाया और इन प्रतिमाओ का उल्लेख “आईना-ए-अकबरी” पुस्तक में भी पाया गया है.

#15 हाजीपुर

बिहार की राजधानी पटना के पास हाजीपुर शहर बसा हुआ है जिसे बौद्धों का महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है, क्योकि यहाँ पर भगवन बुद्ध के द्वारा बहुत की महत्वपूर्ण प्रवचन दिया गया था. यहाँ पर गौतम बुद्ध के सबसे करीबी शिष्य आनंद की समाधि बनी हुई है. बौद्ध धर्म से जुड़ा एक मंदिर भी यहाँ पर है जिसकी बहुत अधिक मान्यता है जिसे रामचौरा मंदिर के नाम से जानते है.

 #16 केसरिया

बिहार के चंपारण जिले में केसरिया नामक स्थान है. जब भगवान बुद्ध कुशीनगर के लिए निकले थे उस समय वह एक दिन के लिए केसरिया में रुके उस स्थान पर कुछ वर्ष पश्चात महान सम्राट असोक ने स्तूप का निर्माण करवाया जिसे विश्व का सबसे बड़ा स्तूप माना गया है. इस स्तूप के बारे में बात करें तो यह 1400 फीट की जगह पर फैला हुआ है और ऊंचाई लगभग 51 फीट है.

#17 साँची

मध्यप्रदेश में साँची शहर एक पहाड़ी पर बसा हुआ छोटा गावं है. इस शहर की खासियत यहाँ का स्तूप है जिसे साँची के स्तूप के नाम से जाना जाता है. इसके अतिरिक्त यहाँ पर और भी स्तूप है जो बौद्ध धर्म के महत्व को दर्शाते है. साँची के स्तूप को सम्राट असोक के द्वारा तीसरी शताब्दी में बनवाया गया था. इसमें भगवान बुद्ध से सम्बंधित कुछ अवशेषों को रखा गया है.

#18 काँची

बौद्ध धर्मं से सम्बंधित कांची प्रसिद्ध केंद्र है. एक समय पर वहाँ एक राज विहार व सौ बौद्ध विहार थे. पुरातत्व विभाग को यहाँ से पांच बुद्ध की मूर्तियाँ प्राप्त हुई है. यह पुराने समय से ही बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र रहा है.

#19 जुन्नर

जुन्नर पश्चिम भारत का हिस्सा है जहाँ पर बौद्ध धर्म से जुडी लगभग 130 गुफाएँ पाई गयी है. इन गुफाओ को देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि प्राचीन समय में यह बौद्ध धर्म का मुख्य केंद्र रहा होगा.

#20 पीतलखोरा

पीतलखोरा में भी अनेको बौद्ध गुफाएँ मौजूद है जिनमें सात विचित्र अभिलेख प्राप्त हुए है जिनमें कुछ भिक्खुओं के नाम अंकित है जिनसे अनुमान लगाया जा सकता है कि यह बौद्ध भिक्खु बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में शामिल रहे होंगे.

#21 काम्पिल्य

गुजरात के नवसारी के निकटकाम्पिल्य स्थित है जिसकार बौद्ध धर्म के लिए बहुत महत्व है. यहाँ से एक ताम्रपत्र अभिलेख की प्राप्ति हुई थी जो दंतिवर्मा राजा के द्वारा लिखा गया था जिससे ज्ञात होता है कि इन्होने काम्पिल्य विहार को भूमि दान दी थी जहाँ पर पांच सौ बौद्ध भिक्खु रहा करते थे.

#22 कौशाम्बी

उत्तरप्रदेश में कौशाम्बी जिला पड़ता है जो बुद्ध कालीन समय से बहुत प्रसिद्ध है. वर्तमान में इसे कोसम गावं के नाम से जानते है जो यमुना नदी के तट पर बसा हुआ है. यह बौद्ध काल में वत्स राज्य की राजधानी रही थी.

#23 नालंदा

वर्तमान में नालंदा को बड़गावं के नाम से जानते है जो राजगीर के निकट स्थित है. गौतम बुद्ध अनेको बार यहाँ पर आये और सम्राट असोक के काल से इस जगह संघाराम बनने लगे थे. यह शिक्षा केंद्र के रूप में बौद्ध काल में विख्यात था.

#24 गिरनार

जूनागढ़ के गिरनार के निकट असोक कालिन शिलालेख मिले है. युआन-च्वांग ने जब जूनागढ़ की यात्रा की तो पाया था कि यहाँ पर कम से कम 50 विहार हुआ करते थे जिसमें स्थविरवाद कुल के तीन हज़ार भिक्खु रहा करते है. यहाँ अनेको गुफाएँ भी मिली जो तीन मंजिल तक है लेकिन यहाँ से कोई भी अभिलेख प्राप्त नहीं हुआ.

#25 तलाजा

तलाजा एक समय पर प्रमुख बौद्ध केंद्र था जो भावनगर से 48 किलोमीटर दूर स्थित है. यहाँ पर 36 गुफाएँ और एक कुंड की प्राप्ति हुई जो बौद्ध धर्म के बारे में संकेत करती है. पुरातत्व विभाग के अनुसार ये गुफाएँ अशोक काल के कुछ समय बाद की हो सकती है.

ध्यान दें: इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी के शत-प्रतिशत होने का दावा नही किया जाता है. कृपया, भ्रमण करने से पहले जानकारी की पुष्टि कर लें.


–भवतु सब्बमङ्गलं—

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