चार शब्द हैं- पुरातन, अधुनातन, अनागतन और सनातन. पुरातन अर्थात प्राचीन अथवा अतीत काल. अधुनातन अर्थात वर्तमान काल. अनागतन अर्थात आने वाला यानी भविष्य काल.
कुछ बातें अतीत में मान्य थीं, अतीत में सत्य थीं, लेकिन अब सत्य नहीं हैं, न मानी जाती हैं. जैसे अतीत में, ईसाइयत में, मानते थे कि धरती चपटी तथा सूरज धरती की परिक्रमा करता है. वैज्ञानिक खोजों ने बात उलट दी है. ये एक उदाहरण है, सैंकड़ों उदाहरण दिये जा सकते हैं- सामाजिक, धार्मिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक इत्यादि.
कुछ बातें आधुनिक काल में मान्यता प्राप्त हैं जो भविष्य में नकारी जा सकती हैं. कुछ भविष्य में मान्य हो सकती हैं जो अभी मान्य नहीं हैं.
जो तीनों कालों में अपरिवर्तनशील है उसे सनातन कहते हैं. सनातन अर्थात जो अतीत में सत्य था, आज भी सत्य है और भविष्य में भी सत्य रहेगा.
भगवान बुद्ध का धम्म “अकालिको” कहा गया है. अकालिको अर्थात जो काल से बाधित नहीं होता, जो तत्काल फल देता है. धम्म वन्दना में हम संगायन करते हैं- स्वाक्खातो भगवता धम्मो, सन्दिट्ठिक्खो, अकालिको, एहिपस्सिको, ओपनायिको…
इसमें भगवान बुद्ध के धम्म के गुणों का वर्णन है- उसमें एक गुण “अकालिको” भी है. भगवान का धम्म अकालिको है अर्थात काल से परे है. काल के साथ कालवाहि यानी आउट डेट नहीं होता. जो कालवाहि नहीं होता उसे सनातन कहते हैं. भगवान बुद्ध के वचन स्वयं इसे प्रमाणित करते हैं. धम्मपद में एक गाथा है:
नहि वेरेनवेरानि सम्मन्तीध कदाचनं।
अवेरेन च सम्मन्ति एस धम्मो सनन्तनो।
अर्थात- वैर से वैर शान्त नहीं होता, अवैर अर्थात मैत्री से वैर शान्त होता है, एस धम्मो सनन्तनो, यही सनातन धर्म है.
“एस धम्मो सनन्तनो” यानी यह सनातन धर्म है. सनन्तनो अर्थात सनातन. यानी भगवान ने स्वयं ही अपने धम्म को सनातन कहा है. सनातन अर्थात जो तीनों कालों में अपरिवर्तनशील है, सत्य है.
आज जो अपने धर्म को सनातन धर्म कह रहे हैं क्या उनमें सनातनता का गुण है? क्या वह त्रैकालिक सत्य है? कथित सनातन धर्म की अनेकानेक बातें आज कालवाहि यानी आउट डेट हो चुकी हैं. फिर वह सनातन कैसे? वास्तव में भगवान बुद्ध का धम्म ही सनातन धर्म है- एस धम्मो सनन्तनो- यह ही सनातन धर्म है.
(लेखक: राजेश चंद्रा जी)