HomeBuddha Dhammaजयंति विशेष: महान सम्राट अशोक

जयंति विशेष: महान सम्राट अशोक

पहचानें अपने गौरव भाल को, सम्राट जिसने मगध को भारत बनाया, सम्राट जिसने भारत के जन-जन में धम्म पहुंचाया, सम्राट जिसने दुनिया को बुद्ध और उनका धम्म देकर भारत को विश्वगुरु बनाया, सम्राट जिसके जैसा कोई दूसरा नहीं, भारत ने इतनी विशाल सीमाएं अपने इतिहास में कभी नहीं देखी जितना इन्होंने बनाया, तलवार की जगह अहिंसा और प्रेम को वैश्विक विदेश नीति का हिस्सा बनाया, लोककल्याणकारी राज्य के संस्थापक; परम कारुणिक, तथागत वाणी विस्तारक, धम्मोन्नायक, न भूतो न भविष्यति वाक्य के आदर्श को पूर्ण करने वाले, देवप्रिय, प्रियदर्शी, राजाओं के राजा थे चक्रवर्ती सम्राट अशोक.

लगातार मगध सम्राट बिन्दुसार द्वारा उपेक्षा किए जाने पर, महामात्य खल्लटक और महारानी चारुमित्रा के षडयंत्रों ने राजकुमार अशोक का राजसी बचपन उनसे छीन लिया. राधागुप्त का सहयोग और माँ धम्मा की शुभेच्छाओं से प्रकृति के बीच तपकर तैयार हुए अशोक और मगध के बीच जो भी आया वो तलवार की धार पर अपने प्राण गंवाता रहा और इस तरह मगध ने अपना सम्राट चुना देवानं पिय पियदस्सी राजानं राजा असोक को.

तलवारों की चमक और कलिंग युद्ध से उपजी सम्वेदना ने कब सम्राट् के हृदय को बुद्ध्यांकुरों से उर्वर कर दिया, पता ही नहीं चला. करुणा और सृजन के इस मार्ग पर बौद्ध रानी देवी का सहयोग सम्राट के लिए शीतल लेप की भांति रहा. शास्ता के प्रति श्रद्धा का एक उदाहरण बौद्ध मिश्रित संस्कृत के ग्रंथ अशोकावदान से देखिए जब सम्राट अशोक के यहाँ भिक्खु उपगुप्त आते हैं तो सम्राट् अशोक के उद्गार इस तरह व्यक्त होते हैं-

यदा मया शत्रुगणान निहत्य प्राप्ता समुद्राभरणा सशैला।
एकातपत्रा पृथिवी तदा मे प्रीतिर्न सा या स्थविरं निरीक्ष्य॥

अर्थात मेरे द्वारा शत्रुओं को मारकर प्राप्त की गई समुद्र पर्यन्त और पहाड़ों से युक्त एक छत्र पृथ्वी को पाकर भी उतनी प्रसन्नता नहीं हुई, जितनी आज थेर उपगुप्त आपको देखकर हो रही है. अंदाजा लगाईए कितना सम्मान था तथागत के प्रति सम्राट अशोक का. एक चक्रवर्ती सम्राट अपनी विजयों को हीन कह देता है, केवल तथागत के मार्ग का अनुसरण करने वाले एक भिक्खु के सम्मुख. ये था भारत और ये थी भारत की संस्कृति जहाँ त्याग और तथता के सम्मुख सम्राटों के सम्राट ने भी समर्पण कर दिया और महान बन गए.

दुनिया के इतिहास में ज्यादातर सम्राटों ने नफरत या युद्धों से विजय प्राप्त की तथा वैसी ही मानसिकता के शिकार इतिहासकारों ने उन्हें महिमामंडित भी किया है. कलिंग के रक्तपात के पश्चात महामानव बुद्ध की शरण में आकर सम्राट अशोक बौद्धमतावलम्बी बने तथा जनसामान्य में प्रेम, मैत्री, करुणा का प्रचार किया.

भारतीय संस्कृति और धर्म को विश्व-विश्रुत कर चतुर्दिक लोककल्याणकारी राज्य की अवधारणा को विकसित किया. सामाजिक-आर्थिक-धार्मिक स्तर पर न्याय की भावना को बलवती किया. 84000 स्तूपों, चैत्यों, विहारों का निर्माण करवाकर, उन्होंने जनसामान्य में अहिंसा और प्रेम के धम्म को अग्रसर किया.

कुछ वामपंथी इतिहासकार अशोक के शांति और धम्म की नीति को मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण मानते हैं, इन मूढ़मतियों को कौन समझाए कि साम्राज्यों के पतन तो स्वाभाविक है. कोई भी चीज स्थाई नहीं होती. आवश्यक नहीं है कि अशोक के उत्तराधिकारी इतने योग्य हों. राजाओं का उत्थान-पतन इतिहास में देखा गया है. किसी साम्राज्य के पतन का आधार उसके सिद्धान्तों की मृत्यु होती है, जैसे रूस में मार्क्सवाद के पतन के बाद वहाँ आर्थिक उदारवाद आया है. भारतीय सन्दर्भों में आए दिन किसी न किसी मध्यकालीन या प्राचीनकालीन शासक पर उसकी गलत नीतियों के कारण सवाल उठाए जाते रहे हैं. ऐसा कौन व्यक्ति है, जिसे अदम्य साहसी, कुशल प्रशासक, न्यायप्रिय, करुणावान, मैत्रीपसन्द, त्यागी सम्राट के ये गुण न पसन्द हो.

देवानं पिय पियदसि (देवप्रिय प्रियदर्शी) राजाओं के राजा चक्कवत्ती असोक (चक्रवर्ती अशोक) के बिना भारत ही नहीं अपितु विश्व का इतिहास अधूरा है. चक्रवर्ती सम्राट अशोक इतिहास नहीं वरन वर्तमान हैं, ये देश सदैव सम्राट अशोक का ऋणी रहेगा. पृथ्वी से सूर्य व चांद जब तक दिखते रहेंगे, तब तक सम्राट अशोक का यश और नाम जनमानस में बना रहेगा… सम्राट अशोक के बारे में लिखने को इतना है कि एक जन्म कम पड़ जाएगा उसे लिपिबद्ध करने में. हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं से लेकर कला, संस्कृति, आचार – विचार सर्वत्र तो उनके द्वारा स्थापित मूल्य और संस्कृति विद्यमान हैं.

अस्तु, आज भी सम्राट अशोक प्रियदर्शी हैं और सम्राटों के भी सम्राट हैं. अशोक इस पृथ्वी पर अब तक के सबसे प्रतापी और महान सम्राट हैं. आओ सम्राट अशोक का जन्मदिवस मनाएं (चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी). अपनी पीढ़ीयों को उनका इतिहास बताएं. जैन मतावलम्बी सम्राट चन्द्रगुप्त-दुदिन्ना के पौत्र और आजीवकानुयायी सम्राट बिन्दुसार-धम्मा की संतान तथा विश्व इतिहास के सर्वाधिक प्रसिद्ध, यशस्वी, और महान सम्राट अशोक के जन्मदिवस पर आप सबको मंगलकामनाएं.

(प्रस्तुती: डॉ. विकास सिंह)

— भवतु सब्ब मङ्गलं —

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