भारतीय संस्कृति (श्रमण संस्कृति) में समता, बंधुत्व और न्याय की अवधारणा रही है. तथागत ने प्रज्ञा, शील और करुणा का संदेश जन-जन तक पहुँचाया. इसलिए, एक-दूसरे के प्रति मान-सम्मान का भाव भी जागृत हुआ है.
इसी मान-सम्मान में रिश्ते भी शामिल है. रिश्ता यानि हमारा दूसरे इंसान से क्या सम्बंध है उसे एक नाम देना. यह रिवाज हम सदियों से निभाते आ रहे है. इसलिए, पालि भाषा में भी इन रिश्तों का नामकरण किया गया है. जिन्हे नीचे देख सकते है.
संबंधों (सम्बन्धो) का नाम पालि में – Relations in Pali
हिंदी | पालि |
माँ | माता |
पिता | पिता/जनको |
भाई | भाता/भातु |
बहिन | भगिनी |
बड़ा भाई | जेट्ठभाता |
बड़ी बहिन | जेट्ठभगिनी |
छोटा भाई | कणिट्ठभाता |
छोटी बहिन | कणिट्ठभगिनी |
बेटा | पुत्तो/दारको |
बेटी | पुत्ती/धीता |
मामा | मातुलो |
मामी | मातुलानी |
मौसी | मातुच्छा |
बुआ | पितुच्छा |
दादा | अय्यको/पितामहो |
दादी | अय्यिका/पितामही |
परदादा | पय्यको |
परदादी | पय्यिका |
चाचा | चुळपिता |
चाची | चुळमाता |
सास | सस्सु |
ससुर | ससुरो |
साला | सालको |
देवर | देवरो |
ननद | ननन्दरा |
भानजा | भागिनेय्यो |
भानजी | भागिनेय्या |
नाती | नत्तरो |
नातिन | नत्तरी |
परनाती | पनत्ता |
परनातिन | पनत्ती |
पति | भत्तु |
पत्नि | भरिया/दारा |
मौसी का बेटा | मातुच्छापुत्तो |
मौसी की बेटी | मातुच्छापुत्ती/मातुच्छाधीता |
बुआ का बेटा | पिताच्छापुत्तो |
बुआ की बेटी | पिताच्छापुत्ती/पिताच्छाधीता |
चाचा का बेटा | चूळपितुपुत्तो |
चाचा की बेटी | चूळपितुधीता |
मामा का बेटा | मातुलपुत्तो |
मामा की बेटी | मातुलधीता |
भतीजा | भातुपुत्तो |
भतीजी | भातुधीता |
बहू | सुणीता/घरसुण्हा |
दामाद | जामाता |
मेहमान | अतिथि |
आचार्य | आचारियो |
शिष्य | सिस्सो |
सम्बन्धी | बन्धु |
युवक | दहरो |
उपासक | उपासको |
उपासिका | उपासिका |
वत्स | वच्छो |
कन्या | कञ्ञा |
लड़की | कुमारी/दुहिता/दुहितु |
लड़का | कुमारो |
गृहपति | गहपति |
— भवतु सब्ब मंगलं —