स्वाक्खातो भगवता धम्मो सन्दिट्ठिको अकालिको
एहिपस्सिको ओपनाय्यिको पच्चतं वेदितब्बो विञ्ञुही’ति
धम्मं याव जीवितं सरणं गच्छामि॥1॥
य च धम्मा अतीता च, ये च धम्मा अनागता
पच्चुप्पन्ना च ये धम्मा, अहं वन्दामि सब्बदा॥2॥
नत्थि में सरणं अञ्ञम धम्मो मे सरणं वरं
एतेन सच्चवज्जने होतु मे जयमङ्गलं॥3॥
उत्तमङ्गेन वन्दे हं, धम्मञ्च दुविधं वरं
धम्मे यो खलितो दोसो, धम्मो खमतु तं ममं॥4॥
धम्म वंदना हिंदी में
भगवान का धम्म अच्छी तरह कहा गया है. वह सही दृष्टि प्रदान करने वाला है. वह तत्काल फल देने वाला है. कालांतर में नही, अपितु ‘आओ और इसे देख लो’ यह कहलाने के योग्य है. यह निर्वाण तक पहुँचाने वाला है और विद्वानों द्वारा जानने के योग्य है. मैं जीवन भर के लिए धम्म की सरण में जाता हूँ. 1
मैं भूतकाल, भविष्य व वर्तमान के बुद्धों द्वारा उपदिष्ट धम्म की सदा वंदना करता हूँ. 2
अन्य कोई मेरी सरण नहीं है, केवल धम्म ही उत्तम सरण है. इस सत्य वचन से मेरी जय और मंगल हो. 3
मैं दोनों प्रकार के श्रेष्ठ धम्म की सिर से वंदना करता हूँ. यदि धम्म के प्रति मुझसे कोई दोष हुआ हो तो धम्म मुझे क्षमा करें. 4
— भवतु सब्ब मङ्गलं —