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अप्पमादवग्गो

अप्पमादो अमतपदं, पमादो मच्चुनो पदं
अप्पमत्ता न मीयन्ति, ये पमत्ता यथा मता.

हिंदी: प्रमाद न करना अमृत (निर्वाण) का पद है और प्रमाद मृत्यु का पद. प्रमाद न करने वाले (कभी) मरते नहीं और प्रमादी तो मरे समान होते हैं.

एतं विसेसतो ञत्वा, अप्पमादम्हि पण्डिता
अप्पमादे पमोदन्ति, अरियानं गोचरे रता.

हिंदी: ज्ञानी जन अप्रमाद के बारे में इस प्रकार विशेष रूप से जान कर आर्यों की गोचरभूमि में रमण करते हुए अप्रमाद में प्रमुदित होते हैं.

ते झायिनो साततिका, निच्चं दळ्हपरक्क मा
फुसन्ति धीरा निब्बानं, योगक्खेमं अनुत्तरं.

हिंदी: वे सतत ध्यान करने वाले, नित्य दृढ़ पराक्रम करने वाले, धीर पुरुष उत्कृष्ठ योगक्षेम वाले निर्वाण को प्राप्त (अर्थात इसका साक्षात्कार) कर लेते हैं.

उट्ठानवतो सतीमतो, सुचिकम्मस्स निसम्मकारिनो
सञ्ञतस्स धम्मजीवनो, अप्पमत्तस्स यसोभिवङढ़ति.

हिंदी: उद्योगशील, स्मृतिमान, शुचि (दोषरहित) कर्म करने वाले, सोच-समझकर काम करने वाले, संयमी, धर्म का जीवन जीने वाले, अप्रमत्त (व्यक्ति) का यश खूब बढ़ता है.

उट्ठानेनप्पमादेन, संयमेन दमेन च
दीपं कयिराथ मेधावी, यं ओघो नाभिकीरति.

हिंदी: मेधावी (पुरुष) उद्योग, अप्रमाद, संयम तथा (इंद्रियों के) दमन द्वारा (अपने लिए ऐसा) द्वीप बना ले जिसे (चार प्रकार के क्लेशों की) बाढ़ आप्लावित न कर सके.

पमादमनुयुञ्जन्ति, बाला दुम्मेधिनो जना
अप्पमादञ्च मेधावी, धनं सेट्ठंव रक्खति.

हिंदी: मर्ख, दुर्बुद्धि जन प्रमाद में लगे रहते हैं, (जबकि) मेधावी श्रेष्ठ धन के समान अप्रमाद की रक्षा करता है.

मा पमादमनुयुञ्जेथ, मा कामरतिसन्थवं
अप्पमत्तो हि झायंतो, पप्पोति विपुलं सुखं.

हिंदी: प्रमाद मत करो और न ही कामभोगों में लिप्त होओ, क्योंकि अप्रमादी ध्यान करते हुए महान (निर्वाण) सुख को पा लेता है.

पमादं अप्पमादेन, यदा नुदति पण्डितो
पञ्ञापासादमारुय्ह, असोको सोकिनिं पजं
पब्बतट्ठोव भूमट्ठे, धीरो बाले अवेक्खति.

हिंदी: जब कोई समझदार व्यक्ति प्रमाद को अप्रमाद से परे धकेल देता (अर्थात जीत लेता) है, तब वह प्रज्ञारूपी प्रासाद पर चढ़ा हुआ शोक रहित हो जाता है. (ऐसा) शोक रहित धीर (मनुष्य) शोक ग्रस्त (विमूढ़) जनों को ऐसे ही (करुण भाव से) देखता है जैसे कि पर्वत पर खड़ा हुआ (कोई व्यक्ति) धरती पर खड़े हुए लोगों को देखे.

अप्पमत्तो पमत्तेसु, सुत्तेसु बहुजागरो
अबलस्संव सीघस्सो, हित्वा याति सुमेधसो.

हिंदी: प्रमाद करवे वालों में अप्रमादी (क्षीणाश्रव) तथा (अज्ञान की नींद में) सोये लोगों में (प्रज्ञा में) अतिसचेत उत्तम प्रज्ञा वाला (दूसरों को) पीछे छोड़ कर (ऐसे आगे निकल जाता है) जैसे शीघ्रगामी अश्व दुर्बल अश्व को.

अप्पमादेन मघवा, देवानं सेट्ठतं गतो
अप्पमादं पसंसन्ति, पमादो गरहितो सदा.

हिंदी: अप्रमाद के कारण इंद्र देवताओं में श्रेष्ठ्ता को प्राप्त हुआ. (पंडित जन) अप्रमाद की प्रशंसा करते हैं, और प्रमाद की सदा निंदा होती है.  

अप्पमादरतो भिक्खु, पमादे भयदस्सि वा
संयोजनं अणुं थूलं, डहं अग्गीव गच्छति.

हिंदी: जो भिक्खु (साधक) अप्रमाद में रत रहता है, या प्रमाद में भय देखता है, वह अपने छोटे-बड़े सभी (कर्म-संस्कारों के) बंधनों को आग की भांति जलाते हुए चलता है.

अप्पमादरतो भिक्खु, पमादे भयदस्सि वा
अभब्बो परिहानाय, निब्बानस्सेव सन्तिके.

हिंदी: जो भिक्खु (साधक) अप्रमाद में रत रहता है, या प्रमाद में भय देखता है, उसका पतन नहीं हो सकता. वह (तो) निर्वाण के समीप (पहुँचा हुआ) होता है.


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— भवतु सब्ब मङ्गलं —

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