HomeBuddha Dhammaबौद्ध भिक्खु कुमार जीव

बौद्ध भिक्खु कुमार जीव

भारत देश में जो महत्व फाहियान का है. चीन में वही महत्व भिक्खु कुमार जीव का है. दोनों समकालीन हैं. भिक्खु फाहियान 399 ई में चीन से भारत देश में आये और पन्द्रह वर्षों तक भारत देश में रहकर नालन्दा, विक्रमशिला, उदन्तपुरी और तक्षशिला विश्वविद्यालय में बौद्ध धम्म का गहरा अध्ययन किए.

इसी क्रम में कुमार जीव का कश्मीर में फाहियान से परिचय हुआ. दोनों महान भिक्खुओं के बीच विद्वतापूर्ण मित्रता हो गयी. भिक्खु फाहियान ने कुमार जीव से अनुरोध किया कि वे उनके साथ चीन चल चलें. कुमार जीव तैयार हो गये. वर्ष 415 ईस्वी में कुमार जीव फाहियान  के साथ चीन के कूचा नगर चले गये. जहां फाहियान के द्वारा निर्मित बौद्ध विहार था.

कुमार जीव पालि, चीनी दोनों भाषाओं के प्रकाण्ड विद्वान थे. उन्होंने करीब 60 पुस्तकें पालि में और चीनी दोनों भाषाओं में लिख डाली. कूचा चीन के लोग भिक्खु कुमार जीव से इतने प्रभावित हुए कि कूचा चीन में भिक्खु कुमार जीव के नाम पर विशाल बौद्ध विहार और पुस्तकालय का निर्माण कर डाले जो आजतक कायम है.

इस बौद्ध विहार को देखने और यहां अध्ययन करने पूरे चीन के लोग आते रहते हैं. कश्मीर से कूचा चीन की दूरी 5000 किमी. है. भारत और चीन की सीमा दूरी 4050 किमी है. जो भारत के पांच राज्यों कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और नागालैण्ड से मिलती है.

अतीत में भारत और चीन मित्र देश थे. तब भारत और चीन के हजारों लोग बेरोक-टोक भारत से चीन और चीन से भारत आते-जाते थे.

अगर भारत चीन मित्र देश होते तब भारत के गांव-गांव में छोटी बड़ी फैक्ट्रियों का जाल बिछा होता. चीन उद्योग प्रधान देश है और भारत रोजगार विहीन देश है. भारत की उन्नति चीन से मित्रता पर निर्भर है. हम कामना करें प्रयास करें कि चीन से अनेक फाहियान भारत आयें और भारत से अनेक कुमार जीव चीन जायें.

(लेखक: बुद्धशरण हंस)

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