HomeDhammapadनिरयवग्गो

निरयवग्गो

अभूतवादी निरयं उपेति, यो वापि कत्वा न करोमि चाह
उभोपि च पेच्च समा भवन्ति
, निहीनकम्मा मनुजा परत्थ.

हिंदी: असत्य बोलने वाला नरक में जाता है, और वह भी जो कि पापकर्म करके ‘नहीं किया’ – ऐसा कहता है. दोनों ही प्रकार के नीच कर्म करने वाले मनुष्य मरकर परलोक में एक-समान हो जाते हैं.

कासावकण्ठा बहवो, पापधम्मा असञ्ञता
पापा पापेहि कम्मेहि
, निरयं ते उपपज्जरे.

हिंदी: कंठ में काषाय वस्त्र डाले कितने ही पापधर्मा (पापी) असंयमी हैं जो अपने पापकर्मों से नरक में उत्पन्न होते हैं.

सेय्यो अयोगुळो भुत्तो, तत्तो अग्गिसिखूपमो
यञ्चे भुञ्जेय्य दुस्सीलो
, रट्ठपिण्डमसञ्ञतो.

हिंदी: असंयमी, दुराचारी होकर राष्ट्र का अन्न खाने से अग्नि-शिखा के समान तप्त लोहे के गोले को खाना अधिक अच्छा है.

चत्तारि ठानानि नरो पमत्तो, आपज्जति परदारूपसेवी
अपुञ्ञलाभं न निकामसेय्यं
, निन्दं ततीयं निरयं चतुत्थं.

हिंदी: प्रमादी परस्त्रीगामी की चार गतियां होती हैं – अपुण्य-लाभ, सुख की नींद न आना, निंदा और नरक.

अपुञ्ञलाभो च गति च पापिका, भातस्स भीताय्रती च थोकि का
राजा च दण्डं गरुकं पणेति
, तस्मा नरो परदारं न सेवे.

हिंदी: अथवा अपुण्य-लाभ, बुरि गअति, भयभीत पुरुष की भयभीत स्त्री से अत्यल्प कामक्रीड़ा और राजा का हाथ-पैर काटने जैसा भारी दंड देना. इसलिए पुरुष परस्त्रीगमन न करे.

कुसो यथा गुग्गहितो, हत्थमेवानुकन्तति
सामञ्ञं दुप्परामट्ठं
, निरयायुपकड्ढति.

हिंदी: जैसे ठीक से न पकड़ा गया कुश (तीक्ष्ण धार वाला तृण) हाथ को ही छेद देता है, वैसे ही गलत प्रकार से ग्रहण किया गया श्रामण्य नरक की ओर खींच ले जाता है.

यं किञ्चि सिथिलं कम्मं, संकि लिट्ठञ्च यं वतं
सङ्कस्सरं ब्रह्मचरियं
, न तं होति महप्फलं.

हिंदी: जो कोई कर्म शिथिलता से किया जाय, जो व्रत मलिन है जो ब्रह्मचर्य अशुद्ध है, वह बड़ा फल देने वाला नहीं होता.

कयिरा चे कयिराथेनं, दळ्हमेनं परक्क मे
सिथिलो हि परिब्बाजो
, भिय्यो आकिरते रजं.

हिंदी: यदि कोई काम करना हो तो उसे करे, उसमें दृढ़ पराक्रम के साथ लग जाय. शिथिल परिव्राजक अपने भीतर रागरजादि होने से अधिक मल बिखेरता है.

अकतं दुक्कटं सेय्यो, पच्छा तप्पति दुक्कटं
कतञ्च सुकतं सेय्यो
, यं कत्वा नानुतप्पति.

हिंदी: दुष्कृत काम करना श्रेयस्कर है क्योंकि दुष्कृत करने वाला पीछे अनुताप करता है, और सुकृत काम करना श्रेयस्कर है जिसे करके अनुताप नहीं करना पड़ता.

नगरं यथा पच्चन्तं, गुत्तं सन्तरबाहिरं
एवं गोपेथ अत्तानं
, खणो वो मा उपच्चगा
खणातीता हि सोचन्ति
, निरयम्हि सम्प्पिता.

हिंदी: जैस कोई सीमवर्ती नगर भीतर-बाहर से खूब रक्सित होता है, वैसे ही अपने आपको रक्सित रखे. क्षण भर भी न चूके, क्योंकि क्षण को चूके हुए लोग नरक में पड़ कर शोक करते हैं.

अलज्जिताये लज्जन्ति, लज्जिताये न लज्जरे
मिच्छादिट्ठिसमादाना
, सत्ता गच्छन्ति दुग्गतिं.

हिंदी: जो अलज्जा के काम में लज्जा करते हैं और लज्जा के काम में लज्जा नहीं करते, मिथ्या दृष्टि से ग्रस्त सत्व (प्राणी) द्रुगति को प्राप्त होते हैं.

अभये भयदस्सिनो, भये चाभयदस्सिनो
मिच्छादिट्ठिसमादान
, सत्ता गच्छन्ति दुग्गतिं.

हिंदी: भयरहित काम में भय देखने वाले और भय के काम में भय को न देखने वाले मिथ्या दृष्टि से ग्रस्त सत्व (प्राणी) दुर्गति को प्राप्त होते हैं.

अवज्जे वज्जमतिनो, वज्जे चावज्जदस्सिनो
मिच्छादिटिठ्समादाना
, सत्ता गच्छन्ति सुग्गतिं.

हिंदी: दोष को दोष और अदोष को अदोष जान कर सम्यक दृष्टि सम्पन सत्व (प्राणी) सुगति को प्राप्त होते हैं.


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— भवतु स्ब्ब मङ्गलं —

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