भगवान बुद्ध की वाणी है पालि भाषा. जो हजारों सालों से तथागत की शिक्षाओं को संजोएं हुए है. और सैंकड़ों भाषाओं की जननी है. जिसने राजभाषा होने का गौरव भी प्राप्त किया और लोकभाषा के रूप में लोगों की अभिव्यक्ति को मधुरता तथा सरलता प्रदान की. जो बुद्ध की धरती के गर्भ में दफ्न अभिलेखों के माध्यम से अपने गौरवशाली इतिहास को हमें बतला रही है.
इस भाषा ने अपने कई रूप बदले हैं ताकि लोगों की अलग-अलग अभिव्यक्ति को स्वर मिल सके. इसलिए, वर्तमान में पालि भाषा की वर्णमाला में कुल 41 वण्ण (वर्ण) है. जिनमें 8 सरा (स्वर) तथा 33 ब्यञ्जन (व्यंजन) शामिल है. जिनका वर्णन इस प्रकार है.
पालि वर्णमाला – Pali Alphabets
सरा
अ आ इ ई उ ऊ ए ओ
ब्यञ्जनानि
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व स
ह ळ अं
इस प्रकार पालि भाषा की वर्णमाला 41 सरा-ब्यञ्जन से मिलकर बनती है. आप जान ही चुके हैं कि पालि वर्णमाला में कुल 8 स्वर होते है. जिन्हे दो वर्गों में बांटा गया है.
- ह्रस्व स्वर (रस्सा सरा) – अ, इ, उ
- दीर्घ स्वर (दीघा सरा) – आ, ई, ऊ, ए, ओ
पालि वर्णमाला के बारे में कुछ विशेष जानकारी
- पालि वर्णमाला में हिंदी भाषा की भांति ऐ, औ, अ: आदि स्वर नहीं होते हैं.
- इसलिए विसर्ग का प्रयोग पालि में नहीं होता है.
- इसी तरह श, ष, क्ष, त्र, ज्ञ, ऋ आदि व्यंजन भी नहीं होते. हिंदी भाषा में पालि भाषा के “क्ख” को क्ष, “त्त” को त्र तथा “ञ्ज” को ज्ञ के रूप में समझ सकते है. बाकि श तथा ष के लिए केवल “स” का ही उपयोग किया जाता है.
- पालि वर्णमाला ने अपनी विरासत “ळ” को संभालकर रखा हुआ है और उसका प्रयोग जारी है. नागरी लिपियों से ये अक्षर लुप्त प्राय की कगार पर है.
- पालि में अनुस्वार, अनुनासिका भी नहीं होते है. जो “अं” स्वर होता है उसे ‘निग्गहित’ कहते है. जिसका उच्चारण कुछ “न्ग” के समान होता है. संस्कृत से प्रभावित होकर इसे “म्” बोलते है जो पालि भाषा में मान्य नहीं है. इसलिए, आप इसे “न्ग” उच्चारित करें “म्” नहीं.
- पालि भाषा में हलन्त भी नही होता.
ध्यान रखें
पालि शब्द को “पालि” लिखें “पाली” लिखने की भूल ना करें. कुछ लोग पाली शब्द का इस्तेमाल करते हैं. जो भाषा और व्याकरण की दृष्टि से अशुद्ध है.
पालि वर्णमाला के उच्चारण स्थान – Articulation Point of Pali Alphabets)
कण्ठ (कण्ठजा) – क वर्ग, अ, आ, ह
तालु (तालुजा) – च वर्ग, इ, ई, य
मूर्धा (मुद्धजा) – ट वर्ग, र, ळ
दांत (दन्तजा) – त वर्ग, ल,स
होठ (ओट्ठजा) – प वर्ग, उ, ऊ
नासिका (नासिकजा) – अं, ङ, ञ, ण, न, म
कण्ठतालु (कण्ठतालुजो) – ए
कण्ठहोठ (कण्ठोट्ठजो) – ओ
दांतहोठ (दन्तोट्ठजो) – व
पालि व्यञ्जन-माला अर्थात पालि बारहखड़ी
आपने हिंदी भाषा में ‘बारहखड़ी’ का नाम सुना होगा. और आपको भलि-भांति याद भी होंगी. ठीक इसी प्रकार पालि में ब्ञजन-माला होती है. जिसे पालि भाषा की बारहखड़ी अर्थात “पालि भाषा में बारहखड़ी” बोल सकते हैं. जिसमें प्रत्येक ब्यञ्जन को आठ स्वरों के रूप में बदला जाता है. यानि मात्राओं का रूप दिया जाता है. जिनका वर्णन नीचे दिया जा रहा है.
क का कि की कु कू के को
ख खा खि खी खु खू खे खो
ग गा गि गी गु गू गे गो
घ घा घि घी घु घू घे घो
ङ ङा ङि ङी ङु ङू ङे ङो
च चा चि ची चु चू चे चो
छ छा छि छी छु छू छे छो
ज जा जि जी जु जू जे जो
झ झा झि झी झु झू झे झो
ञ ञा ञि ञी ञु ञू ञे ञो
ट टा टि टी टु टू टे टो
ठ ठा ठि ठी ठु ठू ठे ठो
ड डा डि डी डु डू डे डो
ढ ढा ढि ढी ढु ढू ढे ढो
ण णा णि णी णु णू णे णो
त ता ति ती तु तू ते तो
थ था थि थी थु थू थे थो
द दा दि दी दु दू दे दो
ध धा धि धी धु धू धे धो
न ना नि नी नु नू ने नो
प पा पि पी पु पू पे पो
फ फा फि फी फु फू फे फो
ब बा बि बी बु बू बे बो
भ भा भि भी भु भू भे भो
म मा मि मी मु मू मे मो
य या यि यी यु यू ये यो
र रा रि री रु रू रे रो
ल ला लि ली लु लू ले लो
व वा वि वी वु वू वे वो
स सा सि सी सु सू से सो
ह हा हि ही हु हू हे हो
ळ ळा ळि ळी ळु ळू ळे ळो
रोमन लिपि में पालि वण्णमाला – Pali Alphabets in Roman Lipi
स्वर
अ आ इ ई उ ऊ ए ओ
(a) (ā) (i) (ī) (u) (ū) (e) (o)
व्यंजन
क ख ग घ ङ
(ka) (kha) (ga) (gha) (ṅ)
च छ ज झ ञ
(cha) (chha) (ja) (jha) (ñ)
ट ठ ड ढ ण
(ṭa) (ṭha) (ḍa) (ḍha) (ṇ)
त थ द ध न
(ta) (tha) (da) (dha) (na)
प फ ब भ म
(pa) (pha) (ba) (bha) (ma)
य र ल व स
(ya) (ra) (la) (va) (sa)
ह ळ अं
(ha) (ḷ) (ṃ)
Note:- 1. जिन वर्णों के ऊपर Macron (־) लगा हुआ है. इसका मतलब है ये वर्ण बड़े है और इनकी ध्वनि थोड़ी सी लंबी होती है.
2. (ṃ) यह अनुस्वार को दर्शाता है. मगर इसका उच्चारण संस्कृत और हिंदी के अनुस्वार से भिन्न है.
रोमन लिपि में पालि व्यञ्जन-माला
अब आपने सभी वर्णों को रोमन लिपि में लिखना सीख लिया है. आइए, व्यंजनों को स्वरों के साथ मिलकर लिखना सीखते है.
क का कि की कु कू के को
(ka) (kaa) (ki) (kee) (ku) (koo) (ke) (ko)
ख खा खि खी खु खू खे खो
(kha) (khaa) (khi) (khee) (khu) (khoo) (khe) (kho)
ग गा गि गी गु गू गे गो
(ga) (gaa) (gi) (gee) (gu) (goo) (ge) (go)
घ घा घि घी घु घू घे घो
(gha) (ghaa) (ghi) (ghee) ghu) ghoo) (ghe) gho)
ङ ङा ङि ङी ङु ङू ङे ङो
च चा चि ची चु चू चे चो
(cha) (cha) (chi) (chee) (chu) (choo) (che) (cho)
छ छा छि छी छु छू छे छो
(chha) (chhaa) (chhi) (chhee) (chhu) (chhoo) (chhe) (chho)
ज जा जि जी जु जू जे जो
(ja) (jaa) (ji) (jee) (ju) (joo) (je) (jo)
झ झा झि झी झु झू झे झो
(jha) (jhaa) (jhi) (jhee) (jhu) (jhoo) (jhe) (jho)
ञ ञा ञि ञी ञु ञू ञे ञो
ट टा टि टी टु टू टे टो
(ta) (taa) (ti) (tee) (tu) (too) (te) (to)
ठ ठा ठि ठी ठु ठू ठे ठो
(tha) (thaa) (thi) (thee) (thu) (thoo) (the) (tho)
ड डा डि डी डु डू डे डो
(da) (daa) (di) (dee) (du) (doo) (de) (do)
ढ ढा ढि ढी ढु ढू ढे ढो
(dha) (dhaa) (dhi) (dhee) (dhu) (dhoo) (dhe) (dho)
ण णा णि णी णु णू णे णो
त ता ति ती तु तू ते तो
(ta) (taa) (ti) (tee) (tu) (too) (te) (to)
थ था थि थी थु थू थे थो
(tha) (thaa) (thi) (thee) (thu) (thoo) (the) (tho)
द दा दि दी दु दू दे दो
(da) (daa) (di) (dee) (du) (doo) (de) (do)
ध धा धि धी धु धू धे धो
(dha) (dhaa) (dhi) (dhee) (dhu) (dhoo) (dhe) (dho)
न ना नि नी नु नू ने नो
(na) (naa) (ni) (nee) (nu) (noo) (ne) (no)
प पा पि पी पु पू पे पो
(pa) (paa) (pi) (pee) (pu) (poo) (pe) (po)
फ फा फि फी फु फू फे फो
(pha) (phaa) (phi) (phee) (phu) (phoo) (phe) (pho)
ब बा बि बी बु बू बे बो
(ba) (baa) (bi) (bee) (bu) (boo) (be) (bo)
भ भा भि भी भु भू भे भो
(bha) (bhaa) (bhi) (bhee) (bhu) (bhoo) (bhe) (bho)
म मा मि मी मु मू मे मो
(ma) (maa) (mi) (mee) (mu) (moo) (me) (mo)
य या यि यी यु यू ये यो
(ya) (yaa) (yi) (yee) (yu) (yoo) (ye) (yo)
र रा रि री रु रू रे रो
(ra) (raa) (ri) (ree) (ru) (roo) (re) (ro)
ल ला लि ली लु लू ले लो
(la) (laa) (li) (lee) (lu) (loo) (le) (lo)
व वा वि वी वु वू वे वो
(va) (vaa) (vi) (vee) (vu) (voo) (ve) (vo)
स सा सि सी सु सू से सो
(sa) (saa) (si) (see) (su) (soo) (se) (so)
ह हा हि ही हु हू हे हो
(ha) (haa) (hi) (hee) (hu) (hoo) (he) (ho)
ळ ळा ळि ळी ळु ळू ळे ळो
पालि वर्णमाला का यह लेख आपको पालि की पहली सीढ़ी चढ़ने में मददगार साबित होगा. आप इस लेख में दी गई जानकारी को धैर्यपूर्वक समझें. अपनी मातृ-भाषा का प्रभाव पालि सीखने में ना आने दें. बिल्कुल खालि दिमाग से सीखने का प्रयास करें. आप कुछ ही दिनों में पालि पढ़ना सीख जाएंगे.
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— भवतु सब्ब मंगलं —