भारतवर्ष में हर साल सैंकड़ों पर्व मनाएं जाते हैं. यहाँ पर हर घटना को अपने तरीके से सेलिब्रेट करने का ढंग मौजूद है.
महापुरुषों के जन्मदिनों को भी जन्मोत्सवों में बदल दिया गया है. और खूब धूमधाम तथा हर्षोल्लास से मनाया जाता है. बाबासाहेब डॉ भीमराव आम्बेड़कर का जन्मदिन दुनियाभर में (जिसमें भारत भी शामिल है) समता दिवस के रूप में मनाया जाता है. जिसकी बानगी आपको महाराष्ट्र (भारत) में देखने को मिल जाएगी.
ऐसा ही एक और जन्मदिन का पर्व भारत में लोकप्रिय है. जिसका नाम है – बुद्ध पूर्णिमा. इसे लोग बुद्ध जयंति के नाम से ज्यादा जानते हैं.
बुद्ध पूर्णिमा का पर्व भारतवर्ष में बुद्ध अनुयायियों का एक प्रमुख पर्व है. जिसे वे खूब धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं. भारत ही नही अपितु विश्वभर में बौद्ध लोग बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाते हैं.
लेकिन, आप सोच रहे होंगे कि ये बुद्ध पूर्णिमा क्या है? कब मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा? बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है? बुद्ध पूर्णिमा का क्या महत्व है? बुद्ध पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए? आदि सवाल आपके मन में उठ रहे होंगे.
तो थोड़ा सा धैर्य रखिए. यह लेख विशेषत: आपके लिए ही लिखा गया है. जिसमें हम आपके इन सभी सवालों के जवाब देंगे. साथ में बुद्ध पूर्णिमा के बारे में कुछ रोचक बातें आपके साथ शेयर करेंगे.
बुद्ध पूर्णिमा क्या है?
बुद्ध पूर्णिमा, बौद्धों का एक प्रमुख उत्सव है, जिसे दुनियाभर के बुद्ध अनुयायी खूब धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाते है. यह पर्व हर साल वैशाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म, उन्हे बुद्धत्व की प्राप्ती तथा उनका महापरिनिर्वाण हुआ था.
बुद्ध पूर्णिमा को विभिन्न नामों से जाना जाता है. जिनमे बुद्ध जयंति, बुद्ध जन्मोत्सव, वैशाख पूर्णिमा प्रमुख है. अंग्रेजी भाषी देशों में इस पर्व को “Vesak Day” कहते है.
वेसाक डे को संयुक्त राष्ट्र संघ में भी मनाया जाता है. इस दिन यूएन के सभी दफ्तरों में अवकाश रहता है और बुद्ध पूर्णिमा पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. यूएन तथा युनेस्को इस दिन को “The International Day of Vesak” के रूप में मनाते हैं.
बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है अथवा बुद्ध पूर्णिमा का क्या महत्व है?
बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध का जन्म, बुद्धत्व की प्राप्ती तथा महापरिनिर्वाण हुआ था. इसलिए, भगवान बुद्ध को कृतज्ञता अर्पित करने, उन्हे याद करने तथा उनकी शिक्षाओं के लिए धन्यवाद देने के लिए दुनियाभर के बौद्धों बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है.
बुद्ध पूर्णिमा केवल कोई उत्सव मात्र नहीं है. यह एक एतिहासिक दिन है. और इंसानियत को हमेशा-हमेशा के लिए बदलने वाला महान दिन है.
दुनिया को शांति और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाला महान इंसान, विश्वगुरु, सम्यक सम्म बुद्ध, तथागत भगवान बुद्ध का दिन है – बुद्ध पूर्णिमा.
इस दिन शाक्यमुनि गौतम के जीवन की तीन प्रमुख घटनाएं हुए थी. पहली उनका जन्म हुआ, दूसरी उन्हे बुद्धत्व की प्राप्ति हुई (Enlightenment) और आखिर में उनका महापरिनिर्वाण भी इसी दिन हुआ था.
इंसान की विकास यात्रा में केवल भगवान बुद्ध ही एक मात्र इंसान हुए है जिनके जीवन की दुनिया बदलने वाली घटनाएं एक ही दिन घटी हों.
उन्हे बुद्धत्व की प्राप्ती के बाद “बुद्ध” कहा गया. और गौतम द्वारा जो सत्य खोजा गया था, शिक्षाएं बताई गई थी उन्हे ‘धम्म’ नाम से जाना गया. इन शिक्षाओं के संयुक्त रूप को ही हम “बुद्ध धम्म” अथवा बौद्ध धर्म# हैं.
बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बुद्ध धम्म के अनुयायीओं द्वारा उनके गुरु को कृतज्ञता अर्पित करने, उन्हे याद करने, उनके द्वारा बताई गई शिक्षाओं से प्राप्त लाभ के लिए धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए दुनियाभर में मौजूद 50 करोड़ से भी अधिक बौद्धों द्वारा धूमधाम से मनाई जाती है.
बौद्धों के लिए यह दिन बहुत ही खुशी और हर्षोल्लास का पर्व है. जिसे वे बड़ी ही शालीनता के साथ मनाते हैं.
बुद्ध पूर्णिमा कब मनाई जाती है?
बुद्ध पूर्णिमा हर वर्ष वैशाख माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है. जो ग्रेगोरियन कैलेंडर (अंग्रेजी कैलेंडर) के अनुसार अप्रेल-मई माह में पड़ती है. कभी-कभी यह जून के शुरुआती सप्ताह में भी आ जाती है.
एक बात ध्यान रखें अंग्रेजी कैलेंडर में बुद्ध जयंति की तिथि हर साल बदलती रहती है. इसलिए, कैलेंडर में देखे बिना बुद्ध जयंति का पर्व मनाना शुरु ना कर दें.
चुंकि, वैशाक पूर्णिमा की तिथि की गणना भारतीय कैलेंडर (शक संवत) के अनुसार की जाती है जो चांद और सूर्य पर आधारित है. इसलिए, यह तिथि बदलती रहती है.
अब पूछ सकते है कि साल 2024 में बुद्ध पूर्णिमा कब है?
2024 में बुद्ध पूर्णिमा 23 मई, 2024 को है.
बुद्ध पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है अथवा इस दिन क्या होता है?
अब सवाल आता है कि बुद्ध जयंति का पर्व कैसे मनाया जाता है? इस दिन लोग क्या करते हैं?
तो आइए जानते है बुद्ध पूर्णिम के दिन बुद्ध अनुयायी क्या करते हैं? और उनका दिन किस तरह व्यतीत होता हैं.
बुद्ध पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले प्रमुख कार्य
- बौद्ध उपासक/उपासिकाएं एक-दो दिन पहले या फिर सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रम से निपटकर अपने घर-आंगन की साफ-सफाई करते हैं.
- सफाई पूरी होने के बाद घर के सभी सदस्यों द्वारा स्नान कर लिया जाता हैं. और नई पोशाक पहनकर ,खासकर सफेद वस्त्र (जो पवित्रता और शुद्धता के प्रतिक है), तैयार हो जाते हैं.
- इसके बाद सहपरिवार नजदीकि बुद्ध विहार में जाते हैं. जहां पर निम्न गतिविधियां सम्पन्न की जाती हैं?
- सर्वप्रथम भिक्खु संघ को विधिवत पंचांग प्रणाम किया जाता हैं.
- इसके बाद भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर फूल चढ़ाकर मोमबत्तियां जलाई जाती हैं.
- ये काम करने के बाद हॉल में उपलब्ध स्थान पर बैठकर सामुहिक वुद्ध वंदना की जाती हैं. फिर उपस्थित उपासका/उपासिकाओं द्वारा भिक्खु संघ से तिसरण (त्रिशरण) और पञ्चसील (पंचशील) ग्रहण किया जाता हैं.
- फिर कुछ समय के लिए ध्यान (मेडिटेशन) किया जाता है. इसका समय उपासक/उपासिकाएं अपनी सुविधानुसार तय कर सकते हैं.
- बुद्ध विहार से घर वापस आकर घर पर बने पकवानों से पेट पूजा की जाती हैं. इस दिन अधिकतर बौद्ध खीर बनाते हैं.
- कुछ उपासक/उपासिकाएं उपोसथ भी रहते हैं. और दोपहर के बाद ठोस आहार का त्याग करते हैं.
- उपासक अपनी क्षमता के अनुसार भिक्खुओं के साथ-साथ गरीबों और जरूरतमंदों को वस्त्र, खाना, पैसा आदि जरूरत की चीजों का दान करते हैं. कहीं-कहीं तो रक्त शिविरों का आयोजन करके खूनदान भी किया जाता हैं.
- अधिकतर उपासक/उपासिकाएं इस दिन मांसाहार नहीं खाते हैं. केवल शाकाहार खाते हैं. वो भी केवल खीर.
- कुछ जगहों पर तो बुद्ध विहारों में टंगे धम्म-पताका (धम्म ध्वज) को उतारकर उसकी जगह नया ध्वज फहराया जाता है.
- संस्थानों एवं उपासक संघ द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी करवाया जाता है. इन कार्यक्रमों में भगवान बुद्ध के जीवन से लेकर उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं को अलग-अलग विधाओं के जरिए लोग प्रस्तुत करते हैं. नए-नए गीत, कविताएं, भाषण रचकर मनोरंजन के साथ-साथ भगवानु बुद्ध की शिक्षाओं से लोगों का परिचय कराया जाता हैं. इन कार्यक्रमों में छोटे-छोटे बच्चे भी सहभागिता निभाते हैं.
घर पर बुद्ध जयंति अथवा बुद्ध पूर्णिमा कैसे मनाते हैं?
ऊपर जो बातें बताई गई हैं वे सभी बाते घर पर भी लागु होती हैं. बस अंतर सिर्फ जगह का हैं. फिर भी आपकी सुविधा के लिए नीचे घर पर बुद्ध पूर्णिमा कैसे मनाते हैं. इसका तरीका बताया जा रहा हैं.
- सर्वप्रथम घर-आंगन की साफ-सफाई कर लें. यदि पर्याप्त समय नहीं मिला है तो कम से कम वह स्थान तो साफ-सुथरा होना चाहिए. जहां पर आप जयंति मनाने का कार्यक्रम करेंगे.
- इसके बाद स्नान कर लेना चाहिए और सफेद कपड़े धारण करके तैयार हो जाएं. घर में बच्चे हैं तो पहले उन्हे तैयार करें.
- अब भगवान बुद्ध की प्रतिमा को किसी मेज अथवा चबुतरे पर रखें. इसके बाद घर के सभी सदस्यों को प्रतिमा की तरफ मूँह करके बैठा लें.
- जब सभी सदस्य आ जाएं तो आप भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर फूल चढ़ाएं और मोमबत्ति जला दें. आपके बाद सभी सदस्य बारी-बारी से प्रतिमा पर फूल चढ़ाएं. और अपना स्थान ग्रहण कर लें.
- यहाँ एक बात ध्यान रखें. भगवान बुद्ध की प्रतिमा के सामने फल, मिष्ठान (मिठाई) या अन्य खाने-पीने की चीजें बिल्कुल ना रखें. प्रतिमा इन सभी चीजों को नहीं खा सकती हैं. इसलिए, अंधविश्वास से दूर रहें. और एक बौद्ध होने का परिचय दें.
- यह काम निपटने के बाद सभी सदस्यों को उकडू बैठने के लिए बोले और आप प्रतिमा की बगल में बैठ जाएं.
- और भगवान बुद्ध को प्रणाम करते हुए धम्म तथा संघ को भी प्रणाम करें. इसके बाद सभी पहले सामुहिक बुद्ध वंदना करें. फिर परिवार के सदस्यों को तिसरण (त्रिशरण) और पञ्चसील (पंचशील) ग्रहण कराएं. साथ में कुछ देर के लिए ध्यान (मेडिटेशन) करें.
- लो हो गया! आपने बुद्ध पूर्णिमा का पर्व सहपरिवार मना लिया हैं.
- अब आप घर में तैयार पकवान खाएं और खिलाएं. बच्चों को बहुजन महापुरुषों के संघर्ष की कहानियां सुनाएं और भगवान बुद्ध के जीवन के बारे में बातें शेयर करें.
- भगवान बुद्ध की वाणि का पाठ करें. जैसे; धम्मपद पढ़े, तिपिटक का अध्ययन करें, जातक कथाओं को अपने बच्चों को सुनाएं, बाबासाहेब की 22 प्रतिज्ञाएं तथा भगवान बुद्ध और उनका धम्म पढ़े.
- यदि आप दान कर सकते हैं तो बुद्ध विहार, भिक्खु संघ तथा जरूरतमंद लोगों को पैसा, वस्त्र तथा अन्य जरूरी चीजें जरूर दान करें. अगर इतना भी नहीं कर सकते है तो गरीबों को भोजन जरूर कराएं.
- इस दिन मांसाहार का त्याग कर सकते हैं तो जरूर करें.
बुद्ध पूर्णिमा के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
यह दिन उपासक/उपासिकाओं के लिए विशेष दिन होता है. क्योंकि, बुद्ध पूर्णिमा के दिन इस धरती पर एक महापुरुष का जन्म हुआ था. जिनकी शिक्षाओं से इंसानों ने करुणा और अहिंसा सीखी हैं.
इसलिए, लोग इस दिन उपोसथ रहते हैं और तिसरण के साथ पञ्चसील (कुछ अष्टशील) का पालन करते हैं. इसलिए, वे ऐसे काम नहीं करते जिनसे पञ्चसील का उल्लंघन होता हैं.
- मांसाहार नहीं करना चाहिए. क्योंकि इसका संबंध पहली शील (पाणातिपाता वेरमणि सिक्खा पदं समाधियामि) से होता है.
- साथ में पञ्चसील को तोड़ने वाले अन्य कार्यों से बचना चाहिए. जैसे; झूट बोलना, चोरी, कपट, मदिरा पान, बिड़ी-सिगरेट आदि का सेवन.
- इस दिन किसी दोस्त के घर या बाजार घूमने ना निकल जाएं. घर पर ही रहे और परिवार के साथ गतिविधियों में हिस्सेदारी निभाएं. इसके बाद ही कहीं घूमने जाएं तो सहपरिवार ही जाएं. इससे पारिवारिक संबंधों में घनिष्ठता बढ़ती है और रिश्तों में मजबूती आती हैं.
- घर के पुरुष पर्व की जिम्मेदारी महिलाओं पर न छोड़ दें. बल्कि खुद तैयारी करें और महिलाओं को बच्चों तथा बुजुर्गों को तैयार करने की जिम्मेदारी दें तो परिवार के लिए ठीक रहता हैं.
- इस दिन भूखा रहकर शरीर को कष्ट ना दें. यदि आप भूख सहन नहीं कर सकते हैं तो खाना समय पर ही खाएं. बीमार व्यक्ति की देखभाल करना ना भूल जाएं. उन्हे समय पर खाना और दवा देने का ध्यान रखें.
- भगवान बुद्ध से किसी भी प्रकार की कोई चीज (मन्नत) मांगने की मूर्खता ना करें. वे आपको कुछ नहीं देने वाले हैं. इसके बजाए उनके बताएं हुए रास्ते पर चलने की कोशिश करें. तो आपका जरूर भला हो जाएगा. इस ओर महाराष्ट्र के बौद्धों ने एक मिसाल कायम की हैं. जिनसे आप प्रेरणा लें सकते हैं.
- जैसा आपको ऊपर भी बताया है. भगवान बुद्ध की प्रतिमा के सामने किसी भी प्रकार की खाद्य वस्तु (फल, मिठाई आदि) ना रखें. केवल फूल चढ़ाएं और मोमबत्ति (सफेद रंग) जलाएं. फालतु का आड़ंबर ना फैलाएं और ना ही अपनी संस्कृति को विकृत करें.
- इस बात पर घर के पुरुष अवश्य ध्यान दें कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन किसी भी प्रकार का अंधविश्वास, आड़ंबर ना पनप जाएं. आप जो भी कार्य कर रहे हैं उसका कारण आपको पता होना चाहिए. जैसे आप तीन मोमबत्ति जला रहे है तो मालूम हो तीन संख्या तिसरण का प्रतिक है और मोमबत्ति जीवन की क्षणभंगुरिता को दर्शाती हैं.
- यदि आपके पड़ोसी या दोस्त इस दिन घर पा आ जाएं और वो आपसे बुद्ध वंदना से संबंधित कोई सवाल पूछे तो उसे बड़ी ही विनम्रता से एक-एक चीज समझाएं. ताकि उसका भ्रम दूर हों. यह प्रत्येक बौद्ध का कर्तव्य बनता हैं.
- यदि आप भिक्खु संघ, गरीब, जरूरतमंद को पैसों का दान कर रहें हैं तो वह धनराशि पूर्ण सख्या में होनी चाहिए. 11, 21 31, 51, 101, 501, 1051, 3100, 5100, 11000, 21000 इस तरह की दानराशि ना दें. पैसा-पैसा होता है. शुभ-अशुभ के फेर में ना पड़े. इस बंधन से बाहर निकलने का प्रयास करें.
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भगवान बुद्ध के कुछ सुविचार तथा अनमोल वचन
1.
जिस प्रकार समुंद्र का मात्र एक ही स्वाद (खारा) होता है, उसी प्रकार इस बुद्धधम्म का एक ही स्वाद है, वह निर्वाण.
2.
दूसरों के दोष देखना आसान है, अपने दोष देखना कठिन. व्यक्ति दूसरे के दोषों को तो तिनके की भांति उड़ाता है किंतु अपने दोषों को ऐसे ढकता है जैसे बेईमान जुआरी पासे (गोटी) को ढकता है.
3.
संतोष परम धन है.
4.
जिस तरह से गहरी झील निर्मल एवं प्रशांत होती है ठीक उसी प्रकार प्रज्ञावान पुरुष भी पूरी तरह तब शांत होता है जब वह धम्म देशना सुनता है.
5.
यदि दूसरे मेरी निंदा करते हैं, धम्म और संघ की आलोचना करते हैं तो आप लोगों को क्रोध आक्रोश नहीं करना चाहिए. क्योंकि वह क्रोध और आक्रोश आप के शुद्ध विचारों को ढक लेगा और तब आप यह नहीं समझ पाएंगे कि उन्होने जो कहा वह उचित था या अनुचित. यदि अन्य लोग ऐसा करते हैं तो उन्हे समझाइए कि हम ऐसा कुछ नहीं करते. उसी प्रकार यदि लोग मेरी प्रशंसा करते हैं, धम्म की या संघ की प्रशंसा करते हैं तो हमें घमंड़ नहीं करना चाहिए. उच्छृंखल नहीं होना चाहिए क्योंकि उक्त बातें आपके निर्णय पर पर्दा डाल देंगी और आप यह नहीं समझ पायेंगे कि दूसरों ने जो कहा है वह सही था या गलत. इसलिए यदि लोगा ऐसा करते हैं तो उन्हे बताइए कि उनके द्वारा की गई प्रशंसा कितनी उचित है. ऐसे कहते हुए कि यह ठीक है, यह उचित है, यही हमारा मार्ग है. यह मुझ में व्याप्त है.
6.
धम्म ग्रंथों का कोई कितना भी पाठ करे लेकिन यदि प्रमाद के कारण मनुष्य उन धम्म ग्रंथों के अनुसार आचरण नहीं करता तो दूसरे की गायें गिनने वाले ग्वाले कि तरह वह श्रमणत्व का भागी नहीं होगा.
7.
घृणा को प्यार से जीतो, बुराई को भलाई से जीतो, कंजूसी को उदारता से तथा झूठ को सच्चाई से जीतो.
8.
दुनिया में चार प्रकार के लोग पाए जाते है. कौन से चार? एक वे जो न अपना कल्याण करते हैं और न अन्य लोगों का. दूसरे वे जो दूसरों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं, किंतु अपने लिए नहीं. तीसरे वें जो अपने कल्याण के लिए प्रयास करते हैं किंतु दूसरों के लिए नहीं. चौथे प्रकार के वे लोग होते है जो अपना कल्याण करने के साथ-साथ दूसरों का भी कल्याण करने के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं. ऐसे लोग ही मुख्य, उच्चतम, सर्वोत्तम तथा सर्वश्रेष्ठ होते हैं.
9.
आप जो सोचते हैं वहीं बन जाते हैं.
बुद्ध पूर्णिमा के बारे में कुछ सवाल-जवाब
आखिर में
अब आप जान गए होंगे कि बुद्ध पूर्णिमा क्या है और क्यों मनाई जाती हैं? साथ में आपने बुद्ध पूर्णिमा कैसे मनाते है और इस दिन क्या-क्या काम करते हैं? ये बातें भी जानी हैं.
यदि ऊपर बताई गई किसी बात या विचार में आप लोगों को किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी नजर आती हैं. जानकारी गलत दी गई हैं तो कृपया कमेंट के माध्यम से हमें जरूर अवगत कराएं.
बुद्ध वंदना सुने
आपको सहपरिवार बुद्ध पूर्णिमा की ढेर सारी मंगलकामनाएं.
— भवतु सब्ब मंगलं —