फन्दनं चपलं चित्तं, दूरक्खं दुन्निवारयं
उजुं करोति मेधावी, उसुकारो व तेजनं.
हिंदी: चंचल, चपल, कठिनाई से संरक्षण और कठिनाई से (ही) निवारण योग्य चित्त को मेधावी (पुरुष) वैसे ही सीधा करता है जैसे बाण बनाने वाला बाण को.
वारिजोव थले खित्तो, ओक मोक तउब्भतो
परिफन्दतिदं चित्तं, मारधेय्यं पहातवे.
हिंदी: जैसे जल से निकालकर धरती पर फेंकी गयी मछली तड़फड़ाती है, वैसे ही मार के फंदे से निकलने के लिए यह चित्त (तड़फड़ाता) है.
दुन्निगहस्स लहुनो, यत्थकामनिपातिनो
चित्तस्स दमथो साधु, चित्तं दन्तं सुखावहं.
हिंदी: ऐसे चित्त का दमन करना अच्छा है जिसको वश में करना कठिन है, जो शीघ्रगामी है और जहां चाहे वहां चला जाता है. दमन किया गया चित्त सुख देने वाला होता है.
सुदुद्दसं सुनिपुणं, यत्थकामनिपातिनं
चित्तं रक्खेय मेधावी, चित्तं गुत्तं सुखावहं.
हिंदी: जो बड़ा दुर्दर्श है, कठिनाई से दिखाई पड़ने वाला है, बड़ा चालाक है, जहां चाहे वहीं जा पहुँचता है, समझदार (व्यक्ति) को चाहिए कि (ऐसे) चित्त की रक्षा करे. सुरक्षित चित्त बड़ा सुखदायी होता है.
दूरङगमं एक चरं, असरीरं गुहासयं
ये चित्तं संयमेस्सन्ति, मोक्खन्ति मारबन्धना.
हिंदी: जो (कोई पुरुष, स्त्री, गृहस्थी अथवा प्रव्रजति) दूरगामी, अकेला विचरने वाले, शरीर-रहित, गुहाशायी चित्त को संयमित करेंगे, वे मार के बंधन से मुक्त हो जायेंगे.
अनवट्ठितचित्तस्स, सद्धम्मं अविजानतो
परिप्लवपसादस्स, पञ्ञा न परिपूरति.
हिंदी: जिसका चित्त अस्थिर है, जो सद्धर्म को नहीं जानता, जिसकी श्रद्धा दोलायमान (डांवाडोल) है, उसकी प्रज्ञा परिपूर्ण नहीं हो सकती.
अनवस्सुत चित्तस्स, अनन्वाहत चेतसो
पुञ्ञपापपहीनस्स, नत्थि जागरतो भयं.
हिंदी: जिसके चित्त में राग नहीं, जिसका चित्त द्वेष से रहित है, जो पाप-पुण्य-विहिन है, उस सजग रहने वाले (क्षीणाश्रव) को कोई भय नहीं होता है.
कुम्भूपमं कायमिमं विदित्वा, नगरूपमं चित्तपमं चित्तमिदं ठपेत्वा
योधेथ मारं पञ्ञावुधेन, जितञ्च रक्खे अनिवेसनो सिया.
हिंदी: इस शरीर को घड़े के समान (भंगुर) जान, और इस चित्त को गढ़ के समान (रक्षित और दृढ़) बना, प्रज्ञारूपी शस्त्र के साथ मार से युद्ध करे. (उसे) जीत लेने पर भी (चित्त की) रक्षा करे और अनासक्त बना रहे.
अचिरं वतयं कायो, पठविं अधिसेस्सति
छुद्दो अपेतविञ्ञाणो, निरत्थवं कलिङगरं.
अहो! यह तुच्छ शरीर शीघ्र ही चेतनारहित होकर निरर्थक काठ के टुकड़े की भांति पृथ्वी पर पड़ा रहेगा.
दिसो दिसं यं तं कयिरा, वेरी वा पन वेरिनं
मिच्छापणिहितं चित्तं, पापियो नं ततो करे.
हिंदी: शत्रु शत्रु की अथवा वैरी वैरी की जितनी हानि करता है, कुमार्ग पर लगा हुआ चित्त उससे (कहीं) अधिक हानि करता है.
न तं माता पिता कयिरा, अञ्ञे वापि च ञातका
सम्मापणिहितं चित्तं, सेय्यसो नं ततो करे.
हिंदी: जितनी (भलाई) न माता-पिता कर सकते हैं, न दूसरे भाई-बंधु, उससे (कहीं अधिक) भलाई सन्मार्ग पर लगा हुआ चित्त करता है.
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— भवतु सब्ब मङ्गलं —