सहस्स्मपि चे वाचा, अनत्थपदसन्हिता
एकं अत्थपदं सेय्यो, यं सुत्वा उपसम्मति.
हिंदी: निरर्थक पदों से युक्त हजार वचनों की अपेक्षा एक (अकेला) सार्थक पद श्रेयस्कर होता है जिसे सुनकर (कोई व्यक्ति) (रागादि के उपशमन से) शांत हो जाता है.
सहस्समपि चे गाथा, अनत्थपदसन्हिता
एकं गाथापदं सेय्यो, यं सुत्वा उपसम्मति.
हिंदी: निरर्थक पदों से युक्त हजार गाथाओं की अपेक्षा (वह) एक (अकेला सार्थक) गाथापद श्रेयस्कर होता है जिसे सुनकर (कोई व्यकित) शांत हो जाता है.
यो च गाथा सतं भासे, अनत्थपदसन्हिता
एकं धम्मपदं सेय्यो, यं सुत्वा उपसम्मति.
हिंदी: जो (कोई) निरर्थक पदों से युक्त सौ गाथाएं बोले उसकी अपेक्षा (अकेला सार्थक) धम्मपद श्रेयस्कर होता है जिसे सुनकर (कोई व्यक्ति) शांत हो जाता है.
यो सहस्सं सहस्सेन, सङगामे मानुसे जिने
एकञ्ञ जेय्यमत्तानं, स वे सङगामजुत्तमो.
हिंदी: हजारों मनुष्यों को संग्राम में जीतने वाले से भी एक अपने आपको जीतने वाला कहीं उत्तम संग्राम-विजेता होता है.
अत्ता हवे जितं सेय्यो, या चायं इतरा पजा
अत्तदन्तस्स पोसस्स, निच्चं सञ्ञतचारिनो.
नेव देवो न गन्धब्बो, न मारो सह ब्रह्मुना
जितं अपजितं कयिरा, तथारूपस्स जन्तुनो.
हिंदी: इन अन्य लोगों को (द्यूत, धन-हरण अथवा बलाभिभव द्वारा) जीतने की अपेक्षा अपने आपको जीतना श्रेयस्कर है. जिस व्यक्ति ने स्वयं को दास बना लिया है और जो अपने आपको नित्य संयत रखता है.
उस प्रकार के व्यक्ति की जीत को न त देव, न गंधर्व न (ही) ब्रह्मा सहित मार (ही) पराजय में बदल सकते हैं.
मासे मासे सहस्सेन, यो यजेथ सतं समं
एकञ्च भावित्तानं, मुहुत्तमपि पूजये
सायेव पूजना सेय्यो, यञ्चे वस्ससतं हुतं.
हिंदी: जो (कोई) सौर वर्षों तक महीने-महीने हजार रुपये से यज्ञ करे और ( स्रोतापन्न) से लेकर रक्षीणाश्रव तक) (किसी) भावितात्म (व्यक्ति की) मुहूर्त-भर ही पूजा कर ले तो सौर वर्षों के यज्ञ की अपेक्षा वह (मुहूर्त-भर) पूजा ही श्रेयस्कर होती है.
यो च वस्ससतं जन्तु, अग्गिं परिचरे वने
एकञ्च भावितत्तानं, मुहुत्तमपि पूजये
सायेव पूजना सेय्यो, यञ्चे वस्ससतं हुतं.
हिंदी: जो कोई व्यक्ति सौ वर्षों तक वन में अग्निहोत्र करे और (किसी) भावितात्म (व्यक्ति की) मुहूर्त भर ही पूजा कर ले, तो सौ वर्षों के हवन से वह (मुहूर्त भर की) पूजा श्रेयस्कर होती है.
यं कि ञ्चियिट्ठं च हुतं च लोके, संवच्छरं यजेथ पुञ्ञपेक्खो
सब्बम्पि तं न चतुभागमेति, अभिवादना उज्जुगतेसु सेय्यो.
हिंदी: पुण्य की इच्छा से जो कोई संसार में वर्ष-भर यज्ञ-हवन करे, तो भी वह (स्रोतापन्न से लेकर रक्षीनाश्रव की किसी अवस्था को प्राप्त) सरलचित्त (व्यक्तियों) को किये जाने वाले अभिवादन के चतुर्थांश के बराबर भी नहीं होता.
अभिवादनसीलिस्स, निच्चं वुड्ढापचायिनो
चत्तारो धम्मा वड्ढन्ति, आयु वण्णो सुखं बलं.
हिंदी: जो अभिवादनशील है (और) नित्य बड़े-बूढ़ों की सेवा करता है, उसकी (ये) चार बातें बढ़ती हैं – आयु, वर्ण, सुख और बल.
यो च वस्ससतं जीवे, दुस्सीलो असमाहितो
एकाहं जीवितं सेय्यो, सीलवनतस्स झायिनो.
हिंदी: दु:शील और चित्त की एकाग्राता से अहित (व्यक्ति) के सौर वर्षो के जीवन से शीलवान और ध्यानी (व्यक्ति) का एक दिन का जीवन श्रेयस्कर होता है.
यो च वस्ससतं जीवे, दुप्पञ्ञो असमाहितो
एखां जीवितं सेय्यो, पण्ञवन्तस्स झायिनो.
हिंदी: दुष्प्रज्ञ और चित्त की एकाग्रता से रहित (व्यक्ति) के सौ वर्ष के जीवन से प्रज्ञावान और ध्यानी (व्यक्ति) का एक दिन का का जीवन श्रेयस्कर होता है.
यो च वस्ससतं जीवे, कुसीतो हीनवीरियो
एकाहं जीवितं सेय्यो, वीरियमारभतो दळ्हं.
हिंदी: आलसी और उद्योगरहित (व्यक्ति) के सौ वर्ष के जीवन से दृढ़ उद्योग करने वाले (व्यक्ति) का एक दिन का जीवन श्रेयस्कर होता है.
यो च वस्ससतं जीवे, अपस्सं उदयब्बयं
एकाहं जीवितं सेय्यो, पस्सतो उदयब्बयं.
हिंदी: (पंचस्कं धके) उदय-व्यय को न देखने वाले (व्यक्ति) के सौर वर्ष के जीवन से उदय-व्यय को देखने वाले (व्यक्ति) का एक दिन का जीवन श्रेयस्कर होता है.
यो च वस्ससतं जीवे, अपस्सं अमतं पदं
एकाहं जीवितं सेय्यो, पस्सतो अमतं पदं.
हिंदी: अमृत-पद (निर्वाण) को न देखने वाले (व्यक्ति) के सौर वर्ष के जीवन से अमृत-पद को देखने वाले (व्यक्ति) का एक दिन का जीवन श्रेयस्कर होता है.
यो च वस्ससतं जीवे, अपस्सं धम्ममुत्तमं
एकाहं जीवितं सेय्यो, पस्सतो धम्ममुत्तमं.
हिंदी: उत्तम धम्म (नवविध लोकोत्तर धम्म अर्था चार मार्ग, चार फल और निर्वाण) को न देखने वाले व्यक्ति के सौर वर्ष के जीवन से उत्तम धम्म को देखने वाले (व्यक्ति) का एक दिन का जीवन श्रेयस्कर होता है.
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— भवतु सब्ब मङ्गलं—